
छह जुलाई को प्रदेश भर में कार्यरत आशा-उषा कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधिमंडल अपनी समस्याओं को लेकर बीजेपी कार्यालय पहुंचा था। बीजेपी कार्यालय में उस दौरान प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार चौहान मौजूद थे। नंदकुमार चौहान आशा-उषा कार्यकर्ताओं से मिलने तो पहुंचे, लेकिन मीडिया का हवाला देकर उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि पहले अपने शिवराज भैया के नारे लगाओ तब आपकी मांगों को लेकर हम दिल्ली तक आवाज उठाएंगे।
अब ये मामला सुर्खियों में आ गया है। सब अपने अपने नजरिए से प्रतिक्रिया दर्ज करा रहे हैं लेकिन एक मामले में सारी सोशल मीडिया एकमत है कि नंदकुमार सिंह चौहान ने जो कुछ किया वो प्रशंसा योग्य नहीं है। किसी ने कहा कि मप्र में भाजपा अब शिवराज सिंह के भीतर समा गई है। शिवराज सिंह, पार्टी से इतने बड़े हो गए हैं कि प्रदेशाध्यक्ष को भी अब केवल वही दिखते हैं। तो किसी ने बताया कि कर्मचारियों से इस तरह की नारेबाजी करवाना गैर कानूनी है। महिलाओं को मदद का लालच देकर नारेबाजी गैरकानूनी भी बताई जा रही है। ये ठीक वैसी ही प्रक्रिया है जैसी गैरकानूनी धर्मांतरण के समय उपयोग लाई जाती है।