जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राजुल बिल्डर के DILIP MEHTA की वह याचिका खारिज कर दी, जिसके जरिए उनके खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में दर्ज की गई एफआईआर रद्द किए जाने पर बल दिया गया था। अब दिलीप मेहता के खिलाफ दर्ज एफआईआर के अनुसार कार्रवाई होगी। दिलीप की गिरफ्तारी की जाएगी। न्यायमूर्ति एसके पालो की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान शिकायतकर्ता गिरीश कुररिया की ओर से अधिवक्ता प्रकाश उपाध्याय ने पक्ष रखा।
उन्होंने दलील दी कि 2009 में जमीन की वास्तविक मालिक महिला ने शिकायतकर्ता के साथ जमीन का अनुबंध किया था। इसी के साथ भूमि शिकायतकर्ता की हो गई। इसके बावजूद 2016 में जमीन मालिक महिला के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद कोमा में चले जाने के दौरान बिल्डर मेहता ने फर्जी अनुबंध पत्र तैयार करवाकर भूमि अपने नाम करवाने की कोशिश की।
इसमें नाकाम रहने पर दिवंगत महिला के पति के नाम भूमि ट्रांसफर किए जाने का फर्जी घोषणा-पत्र तैयार करके भूमि की रजिस्ट्री अपने नाम करवा ली गई। इसकी शिकायत पर पुलिस ने धोखाधड़ी की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कर ली। जिसे निरस्त कराने हाईकोर्ट की शरण ली गई है। चूंकि जांच में आरोप सही पाए गए हैं, अतः याचिका खारिज की जानी चाहिए।