उपदेश अवस्थी/भोपाल। आरएसएस बार बार डरा रहा है कि मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह विरोधी लहर चल रही है। भाजपा में अपनों से ज्यादा गद्दारों की भीड़ हो गई है। पिछले 13 सालों में जिनकी मुरादें पूरी नहीं हुईं वो हाथ में छुरा छुपाए, पीठ में भौंकने की फिराक में हैंं। कई हमले हो भी चुके हैं। वो तो अच्छा है कि जैकेट बुलेट प्रूफ है, नहीं तो अपनों ने ही कब की फेयरवेल दे दी होती। कुछ समकक्ष तो इतने आगे निकल गए कि इन दिनों कुपोषित कांग्रेस को पोषणआहार दे रहे हैं। सिर पर 2018 का चुनाव आ गया है। शायद इसीलिए सीएम शिवराज सिंह ने तय किया है कि यह चुनाव कुछ अलग तरह से लड़ा जाएगा। ना तो आरएसएस के तलवे चाटे जाएंगे और ना ही उन रुठे भाजपाईयों को मनाया जाएगा जिनकी महत्वाकांक्षाएं पूरी नहीं हो पाईं। कदाचित इसीलिए इन दिनों मुख्यमंत्री का कार्यालय मध्यप्रदेश में 'शिवराज के सिपाही' भर्ती कर रहा है। अब तक 10 हजार सिपाहियों की आॅटो अपाइंटमेंट हो चुके हैं। जिस जिस ने शिवराज का मोबाइल एप डाउनलोड किया, उसे 'शिवराज का सिपाही' घोषित कर दिया गया। इस ऐप का प्रचार प्रसार शुरू कर दिया गया है। नियुक्त हो चुके सिपाहियों को बता दिया गया है कि 'मिशन 2018 में काम करने के लिए तैयार रहें।'
सरकारी खर्चे से बने मोबाइल एप शिवराज सिंह के जरिए एप डाउनलोड कर चुके लोगों को संदेश भेजा जा रहा है कि आप शिवराज के सिपाही हैं और मिशन 2018 में काम करने के लिए तैयार रहें। एप डाउनलोड करने वाला हर व्यक्ति अपने आप शिवराज का सिपाही बन गया है। सरकार इनका उपयोग चुनाव के दौरान करेगी। वालेंटियर्स को एक वॉट्सएप नंबर भी मुहैया कराया जा रहा है, ताकि सभी वालेंटियर्स से एक साथ संपर्क किया जा सके। इस तरह से चुनाव के वक्त उन्हे सरकारी एप से बाहर निकालकर वाट्सएप ग्रुप के जरिए निर्देशित किया जा सकेगा। इसके साथ ही वालेंटियर्स को अन्य लोगों को भी इससे जोड़ने की अपील सरकार की तरफ से की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक यह पूरी कवायद 2018 के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर की जा रही है, ताकि भाजपा कार्यकर्ताओं के अलावा आम युवाओं को भी शिवराज सिंह का प्रचारक बनाया जा सके।
भाजपा से अलग शिवराज का अस्तित्व
इस तरह के शिवराज सिंह का अस्तित्व भाजपा से अलग तैयार किया जा रहा है। यदि भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता नाराज होकर घर बैठ जाते हैं तो शिवराज के सिपाही काम करेंगे। या फिर शायद 2018 के चुनाव में 'शिवराज के सिपाही' ही फ्रंट लाइन में होंगे। यह तो सभी जानते हैं कि मप्र में शिवराज सिंह का विरोध हो रहा है। इससे भी ज्यादा विरोध भाजपा के भीतर भी है। कार्यकर्ता 2018 में चुनाव प्रचार करने से पहले हिसाब मांग रहा है। वो पूरी तैयारी में हैं। शायद यही कारण है कि शिवराज सिंह चौथी बार सत्ता में आने के लिए नए सिरे और नए लोग तलाश रहे हैं।