नई दिल्ली। हिंसक गोरक्षक अब देश की समस्या बन गए हैं। हालात यह हो गए कि अब सुप्रीम कोर्ट ने भी तलख लहजे में सरकारों को लताड़ लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा कि वह किसी भी तरह की गुंडागर्दी को शह न दें। साथ ही गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसक घटनाओं पर भी केंद्र और चार राज्य सरकारों से चार हफ्ते में जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 6 सितंबर को होगी। कोर्ट ने कहा कि कानून और व्यवस्था राज्यों का विषय है। इसमें केंद्र की कोई भूमिका नहीं। केंद्र का रुख साफ है कि देश में किसी भी तरह के रक्षक समूहों के लिए कोई जगह नहीं है। सरकार ने ऐसी हिंसा का न कभी समर्थन किया है और न कभी करेगी। गोरक्षकों से जुड़ी हिंसक सामग्री सोशल मीडिया से हटाने में भी कोर्ट ने राज्यों से मदद मांगी है।
हिंसक गोरक्षकों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए: RSS
जम्मू। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने शुक्रवार को यहां गोरक्षा के मसले पर हो रही राजनीति खत्म करने को कहा। उन्होंने कहा, "संघ गोरक्षा के नाम पर किसी भी तरह की हिंसा का समर्थन नहीं करता। उन लोगों के खिलाफ एक्शन लिया जाना चाहिए, जो दोषी पाए जाते हैं।' गोरक्षा मसले पर संसद के मानसून सेशन में अपोजिशन ने हंगामा किया। कांग्रेस-सपा ने आरोप लगाया कि भीड़ की हिंसा की जो घटनाएं इस वक्त देश में हो रही हैं, उसके पीछे बीजेपी और संघ के लोगों का हाथ है।
वैद्य ने कहा, "गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा को संघ के साथ जोड़ने की बजाय ऐसी घटनाओं पर एक्शन लिया जाना चाहिए। जो लोग दोषी पाए जाते हैं, उन्हें सजा देनी चाहिए। कानून को अपना काम करना चाहिए। हम पहले भी साफ कर चुके हैं कि किसी भी हिंसा को हम सपोर्ट नहीं करते।"
मीडिया ने इसे हमसे जोड़ दिया
उन्होंने कहा, "गोरक्षा अलग मसला है। गोरक्षा अभियान सैकड़ों साल से चल रहा है। ये घटनाएं पिछले कुछ साल से हो रही हैं। ऐसा नहीं है कि ये घटनाएं पहली बार हो रही हैं। मीडिया इन घटनाओं को किसी एक आइडियोलॉजी से जोड़ने और अपोजिशन इस मुद्दे पर राजनीति की कोशिश कर रहा है। इस मुद्दे पर राजनीति करना और समाज के किसी एक हिस्से का अपमान करना, अच्छी बात नहीं है।