भोपाल। विद्या भारती मध्यभारत प्रांत के अन्तर्गत विद्वत परिषद की प्रांतीय बैठक का आयोजन ‘प्रज्ञादीप’ हर्षवर्धन नगर, भोपाल में सम्पन्न हुआ। मध्यभारत प्रांत के 13 जिलों से आए लगभग 60 प्राध्यापक, शिक्षक, कार्यकर्ताओं ने बैठक में सहभागिता की। उद्घाटन सत्र में विद्वत परिषद की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए श्री देवकीनंदन चैरसिया (क्षेत्र प्रशिक्षण प्रमुख, विद्याभारती) ने बताया कि शिक्षा क्षेत्र में भारतीयता की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए शिक्षाविदों को एकत्रित होना होगा। वर्तमान की आवश्यकताओं के अनुरुप प्राप्त की जाने वाली शिक्षा में राष्ट्रबोध, समाजबोध आवश्यक है। इसीलिए शिक्षा क्षेत्र में ऐसे समूहों का निर्माण किया जाना चाहिए जो सरकार और समाज के मध्य शिक्षा और सामाजिक सरोकार के विषय पर सेतु का कार्य करे। विद्याभारती इस दिशा में अग्रणी भूमिका का निर्वाह करेगी।
इस अवसर पर विद्याभारती के प्रांतीय संगठन मंत्री श्री हितानंद शर्मा ने विद्वत परिषद के संगठनात्मक स्वरुप की रुपरेखा प्रस्तुत की। आप ने बताया की समाज में मौजूद अपने-अपने विषय के विशेषज्ञों को जोड़कर उनके अनुभवों का लाभ लिया जा सकता है। इस हेतु विभिन्न विषयों की परिषदें गठित की जाकर शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत शिक्षक, विद्यालय में अध्ययनरत् छात्र, छात्र/छात्राओं के अभिभावकों का प्रबोधन आवश्यक है। शिक्षा क्षेत्र का संचालन करने वाले विभिन्न शासकीय संस्थाओं को भी विद्वत परिषद अपने अमूल्य सुझावों से अवगत् कराएगी। इस हेतु हमें जिला स्तर पर परिषदों का गठन करते हुए कार्य करना है।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री प्रकाश बरतुनिया (उपाध्यक्ष, सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान, भोपाल) ने शिक्षा क्षेत्र में विद्यमान समस्याओं को उठाते हुए उनके सतत समाधान के वारे में सक्रिय रहने का आहवान किया। बैठक में मुख्य रुप से श्री स्वराज पुरी (पूर्व पुलिस महानिदेशक), श्री भागीरथ कुमरावत(उपाध्यक्ष, माध्यमिक शिक्षा मण्डल, भोपाल), श्री मोहनलाल गुप्ता(सचिव, सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान, भोपाल), एवं श्री रामकुमार भावसार (प्रांत प्रमुख, विद्याभारती) उपस्थित हुए। बैठक का संचालन डाॅ. आशीष भारती (संयोजक, विद्वत परिषद, भोपाल) ने किया।