
आईएएस बाबूलाल अग्रवाल ने पीएमओ को भेजी थी रिश्वत
1988 बैच के आईएएस अग्रवाल पर सीबीआई को रिश्वत देने का आरोप है। अग्रवाल, हाल के दिनों में कई महीने तक दिल्ली की तिहाड़ जेल में रहे। उन पर सेल कंपनियों के जरिए 2010 में करोड़ों रुपए की हेराफेरी करने का आरोप था। इस मामले को कमजोर करने की खातिर उन्होंने कथित तौर पर पीएमओ और सीबीआई को रिश्वत की पेशकश की, जिसमें दलालों की भूमिका थी। इस साल फरवरी में सीबीआई ने उनके रायपुर स्थित बंगले पर छापा मारा था। बाबूलाल उच्च शिक्षा विभाग में प्रमुख सचिव थे।
साल में सिर्फ 3 दिन आॅफिस आए अजयपाल सिंह
जबरन रिटायर किए गए दूसरे अफसर अजयपाल सिंह हैं। वे पिछले एक साल से मंत्रालय में बिना काम के पदस्थ थे। अजयपाल 1986 बैच के आईएएस हैं। भ्रष्टाचार के आरोप के बाद भी 6 साल पहले राज्य सरकार ने उन्हें प्रमोट कर प्रमुख सचिव बनाया था। वे जीएडी सचिव और राजस्व मंडल के अध्यक्ष भी रहे। छत्तीसगढ़ माटी कला बोर्ड में रहते हुए उन पर इलेक्ट्रिक चाक की खरीदी में गड़बड़ी का आरोप लगा। उन पर पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी करने का भी आरोप था। वर्तमान वे वह जनशिकायत एवं निवारण विभाग में प्रमुख सचिव थे। सूत्रों पर यकीन करें तो पिछले एक साल में वे मुश्किल से तीन दिन अपने दफ्तर पहुंचे। उनके दफ्तर में एक स्टॉफ आफिसर, एक निजी सचिव और दो भृत्य नियुक्त हैं। बताया गया है कि वे लगातार बीमार रहे। पिछले एक साल में दो बार उनका ऑपरेशन हुआ। केंद्र सरकार ने अजय पाल सिंह को शारीरिक अक्षमता के आधार पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी है।
दो और अफसरों पर लटकी तलवार
इसी साल 15 और 25 साल की सेवा कर चुके अफसरों के परफार्मेंस रिव्यू के दौरान अब तक तीन आईपीएस और दो आईएएस अफसरों की नौकरी जा चुकी है। सर्विस रिव्यू के बाद देश भर में 133 अफसरों को जबरन रिटायर किया जा चुका है। देश में अभी ए ग्रेड के 34449 तथा बी ग्रेड के 24 हजार अफसरों का रिव्यू चल रहा है। छत्तीसगढ़ के कम से कम दो और अफसरों को सर्विस रिव्यू में हटाने की तैयारी है।
कैट में याचिका लगी है, फैसले से पहले कार्रवाई गलत: बाबूलाल
आईएएस बाबूलाल ने कहा कि जब मुझ पर सीबीआई की कार्रवाई हुई थी, तभी मैंने मुख्य सचिव से रिटायरमेंट देने का निवेदन किया था। लेकिन तब नहीं दिया गया और अब पक्षपातपूर्ण कार्रवाई की गई है। बाबूलाल ने कहा कि मुझे पहले ही आशंका थी कि इस तरह की कार्रवाई हो सकती है। इसीलिए मैंने पहले ही केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) में याचिका दायर की है। कैट ने केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस भी जारी किया है। यह मामला विचाराधीन है। सीबीआई को भी कोर्ट में चुनौती दी है। फैसला आने के पहले इस तरह की कार्रवाई गलत है।