
राजस्थान स्टेट हैंडलूम डवलपमेंट कॉरपोरेशन में जूनियर अस्सिटेंट के पद पर काम करने वाले शशिमोहन माथुर को अपनी मौत के 11 साल बाद हाईकोर्ट से न्याय मिला है। मामले में संभवतः पहली बार कोर्ट ने किसी आईएएस अधिकारी की व्यक्तिगत जिम्मेदारी भी तय की है।
मामले में जस्टिस एसपी शर्मा ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि याचिकाकर्ता को उनकी नियुक्ति के पहले दिन से सभी परिलाभ दिए जाएं। वहीं यह पूरी राशि सेवानिवृत आईएएस अधिकारी दामोदर शर्मा और उमराव सालोदिया की पेंशन व पीडीआर अकाउंट से वसूलने के निर्देश दिए हैं।
पूरे मामले में हाईकोर्ट ने कई गंभीर टिप्पणियां की हैं। अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि इन दो आईएएस अधिकारियों ने अगर नियमों के तहत काम किया होता तो आज यह मामला अदालत में नहीं पहुंचता।