
नोएडा भूमि आवंटन में गड़बड़ी की जांच की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया। याचिका में कहा गया था कि नोएडा के विभिन्न इलाकों में प्लांट आवंटन और लैंड यूज बदलने में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई। गाजियाबाद में सीबीआई की विशेष अदालत ने 2012 में नीरा यादव को तीन साल की सजा सुनाई थी, जिसके खिलाफ उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील की थी। हाई कोर्ट ने इस सजा को बरकरार रखा था।
यह घोटाला 1993-95 का है जब नीरा यादव नोएडा अथॉरिटी की चेयरमैन थीं। उन पर आरोप है कि उन्होंने पद का दुरुपयोग कर बैक डेट में प्लॉट के लिए आवेदन किया था और इसका चेक भी बैक डेट में ही बैंक में जमा करा दिया। इसके बाद नोएडा सेक्टर-44 में प्लॉट आवंटित होने पर उसे सेक्टर-14ए में बदलवाया। नीरा यादव ने अपनी नाबालिग बेटियों के नाम पर भी दुकानें आवंटित कराईं और उन्हें दुकानों में कार्यरत दिखाकर नियम के विरुद्ध प्लॉट दिला दिए।