
याचिका में कहा गया है कि चंद वर्षो में ही छत्तीसगढ़ राज्य के स्वास्थ्य और पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर और उनके परिजनों की संपत्ति अरबों में हो गई। बैंकों में खाते भी कहीं अजय चंद्राकर तो कहीं अजोय चंद्राकर के नाम से खोले गए। नोटबंदी के दौरान इन खातों में करोड़ों रुपए जमा हुए। इस बाबत याचिकाकर्ता ने बैंक प्रबंधन से भी पूछताछ और जांच की मांग की।
तालाब खरीदा और कालोनी काट दी
इसके साथ ही बहस के दौरान याचिकाकर्ता ने अपने वकील के जरिए एक और अनुपातहीन संपत्ति का मामला उठाया। दस्तावेज पेश करते हुए अदालत की संज्ञान में यह बात लाई गई कि मंत्री महोदय ने धमतरी शहर में एक तालाब खरीदा और उस पर आवासीय कॉलोनी भी बना दी।
यह तालाब मंत्री जी ने अपने भाई के नाम से खरीदा था। जबकि NGT के साफ निर्देश है कि पर्यावरण बचाने के लिए तालाबों का अस्तित्व बरकरार रखना होगा। फिलहाल मामले की अगली सुनवाई 3 अगस्त से प्रारंभ होगी। इस सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से पेश नामी और बेनामी संपत्ति के ब्योरे पर मंत्री जी को अपना जवाब पेश करना होगा।