
पत्रकार श्री रवींद्र कैलासिया की रिपोर्ट के अनुसार छतरपुर के नौगांव निवासी वीरेंद्र रिछारिया और राजेंद्र दीक्षित को स्थानीय जिला प्रमुखों कलेक्टर, एसपी व जेल अधीक्षक सहित प्रभारी मंत्री की कमेटी ने 2013 में मीसा/डीआईआर बंदी नहीं पाया था। इस कारण उनके मीसाबंदी संबंधी प्रकरण को अमान्य घोषित कर दिया गया। कमेटी में शामिल जेल अधीक्षक ने रिछारिया को दिनांक 2 जुलाई 1975 से एक मार्च 1977 मीसा रजिस्टर में दर्ज नहीं होना पाया था।
इसी तरह दीक्षित का भी 1 अगस्त 1975 से 26 अगस्त 1976 तक हवालाती रहने और मीसा रजिस्टर में नाम दर्ज नहीं होना पाया गया। इसी आधार पर दोनों को मीसाबंदी नहीं माना गया। दोनों प्रकरणों को एक फरवरी 2014 को पुनर्विचार के लिए प्रस्तुत किया गया, जिसमें पूर्व में कमेटी द्वारा अमान्य किए गए फैसले का उल्लेख करते हुए शपथ-पत्र के आधार पर उन्हें मीसाबंदी घोषित कर दिया गया।
25 मई 2013 को प्रकरण अमान्य हुआ
इन्होंने किया था अमान्य: हरीशंकर खटीक- प्रभारी मंत्री, राजेश बहुगुणा- कलेक्टर, ए. सियास- एसपी, अनिल कुमार सिंह परिहार- जेल अधीक्षक।
26 मई 2015 को मान्य कर लिया गया
इन्होंने किया मान्य: डॉ. नरोत्तम मिश्रा- प्रभारी मंत्री, डॉ. मसूद अख्तर- कलेक्टर, ललिता शाक्यवार- एसपी, श्यामजी सिंह बघेल- जेल अधीक्षक।
शिकायत मिली है, जानकारी मंगा रहे
छतरपुर की दो शिकायतें मिली हैं, जिनके बाद सागर और अन्य जिलों से भी जानकारी मंगाई जा रही है। छतरपुर में जिस मीसाबंदी साधुराम मिश्रा के शपथ-पत्र पर दो मीसाबंदी घोषित किए गए, अब वही आरोप लगा रहे हैं। इसीलिए ऐसे और प्रकरणों का पता लगाने के लिए प्रदेशभर में संगठन के पदाधिकारियों से जानकारी जुटाई जा रही है।
मधुसूदन पित्रे, उपाध्यक्ष, लोकतंत्र रक्षक सेनानी
हम तो सही हैं
हम मीसाबंदी हैं। हमने किसी किसी पर दबाव डालकर शपथ-पत्र नहीं दिलवाया।
वीरेंद्र रिछारिया व राजेंद्र दीक्षित