इंदौर। मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने कागजों में हेराफेरी करेन वाले 3 SDM, 2 तहसीलदार को निलंबित कर दिया। साथ ही कामचोर, लारवाह अधिकारियों को सख्त हिदायत दी कि जनता को परेशान करना बंद करें, नहीं तो ऐसे लोगों को जेल भी भेजा जाएगा। मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने गुरुवार को इंदौर में हुई राजस्व की बैठक में जिस तरह के तेवर दिखाए हैं, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले दिन अधिकारियों के लिए अच्छे नहीं हैं। राजस्व में बढ़ोत्तरी में लापरवाही बरत रहे अधिकारियों को समझाइश देने के लिए मुख्य सचिव संभागवार बैठक ले रहे हैं। अब तक पिछले 9 संभाग की बैठक में मुख्य सचिव ने कोई कार्रवाई नहीं की थी।
आज इंदौर जिले के तीन एसडीएम और दो तहसीलदारों पर गाज गिराते हुए उन्हें निलंबित करने के निर्देश दिए हैं। दोषी अधिकारियों में एसडीएम संदीप सोनी, श्रृंगार श्रीवास्तव और अजित श्रीवास्तव के अलावा दो तहसीलदार दर्शनी सिंह और राजेश सोनी को निलंबित करने के लिए कहा गया है, क्योंकि इन्होंने सीएस के सामने साख बचाने के लिए 5 साल से चल रहे नामांतरण और डायवर्जन के प्रकरण को खारिज करते हुए उन्हें नई तारीख में दर्ज कर लिया। सीएस ने इस चोरी को पकड़ लिया और जमकर लताड़ लगाते हुए सभी को सस्पेंड करने के लिए निर्देश जारी कर दिए।
मुख्य सचिव ने बताया कि मैं लगातार संभाग स्तर पर बैठक ले रहा हूं, मैं अब तक हिंसक नहीं हुआ था लेकिन इंदौर जिले के अधिकारियों के कामकाज को देखकर मैं आहत हूं। मेरे दौरे के चलते अधिकारियों ने सालों पुराने मामलों को खारिज कर दिया और नई तारीख में दर्ज कर लिया, ताकि इससे लगे कि मामले ज्यादा पुराने नहीं हैं। उन्होंने इस बात को भी माना है कि अधिकारियों को ABCD से सिखाने की जरुरत है। सिस्टम इतना बिगड़ चुका है कि उसे सुधारना बेहद जरुरी है। फिर भी बाज नहीं आए तो बेइमान अधिकारियों को जेल भी भेजूंगा। कई अच्छे लोग हैं जो नौकरी करना चाहते हैं। ये बैठक का मेरा पहला चरण है, दूसरा चरण इससे ज्यादा हिंसक होगा। फिलहाल, मुख्य सचिव के तेवर देखकर यही कहा जा सकता है कि जिस तरह से पूरे प्रदेश में अफसरशाही हावी हुई है, उसी को ठीक करने के लिए मुख्य सचिव को अब सर्जरी करने की जरुरत पड़ रही है।