
महाराष्ट्र की सीमा से लगे जिले के पांर्ढुना में मंगलवार सुबह गोटमार मेले की शुरुआत हुई। सुबह 5 बजे जाम नदी के बीच सावरगांव पक्ष ने झंड़ा गाड़ा, इसके बाद पांर्ढुना पक्ष के लोगों ने परंपरागत रूप से इसकी पूजा-अर्चना कर निशान चढ़ाया। इसके बाद दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर पत्थर फेकना शुरू कर दिए। इस दौरान मौके पर पुलिस बल भी मौजूद रहा।
दोपहर तक गोटमार मेले में 58 लोग घायल हो गए, जिन्हें इलाज के लिए तुरंत अस्पताल ले जाया गया। इस दौरान मौके पर उपचार सुविधा में लापरवाही होने की बात से नाराज लोगों ने एम्बुलेंस गाड़ी तोड़फोड़ कर पुलिस पर पथराव किया। प्रशासन की सख्ती की वजह से लोग नाराज हैं।
परंपरा अनुसार हर साल भादौ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दूसरे दिन यह मनाया जाता है। गोटमार का अर्थ होता है एक-दूसरे को पत्थर मारना। मेले में पांर्ढुना और सावरगांव के लोग बीच में बहने वाली जाम नदी के दोनों तरफ इकट्ठा होते हैं। इसके बाद सूरज उगने के साथ ही पूजा के बीच पत्थर मारने की शुरुआत हो जाती है, जो सूर्यास्त तक जारी रहती है। इस दौरान हर साल कई लोग घायल होते हैं, पहले इसमें कुछ लोगों की जान भी जा चुकी है।