
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करना बेशक आज भी युवाओं का क्रेज है, लेकिन अब ट्रेंड बदल रहा है। जिन इंजीनियरिंग प्रोग्राम में पासआउट होने के बाद नौकरी नहीं मिलेगी, उनमें अब छात्र दाखिला नहीं लेना चाहते हैं।
आज छात्र कैंपस प्लेसमेंट का रिकार्ड जांचने और प्रोग्राम की मार्केट में डिमांड के आधार पर कोर्स को चुन रहे हैं। यही कारण है कि अब इंजीनियरिंग कॉलेज अपना खर्चा तक नहीं निकाल पा रहे हैं, क्योंकि बीटेक और एमटेक में पहले की तर्ज पर छात्र दाखिला नहीं लेते हैं। उक्त इंजीनियरिंग कॉलेजों ने अपने पत्र में तर्क दिया है कि वे डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई करवाना चाहते हैं, लेकिन खर्चा नहीं निकल पा रहा है। पंजाब के 3 में से दो कॉलेजों को बंद करने की मंजूरी मिल गई है।