
यह कर्ज मार्च 2016 के आखिर में 76,685 करोड़ रुपये था. इसके साथ ही सालाना आधार पर ऐसे कर्जदारों की संख्या में लगभग 10 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गई। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों की संख्या मार्च के आखिर में 8,915 हो गई जो कि पूर्व वित्त वर्ष में 8167 रही थी।
बैंकों ने जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने के 8915 मामलों में से 32,484 करोड़ रुपये के बकाया कर्ज वाले 1914 मामलों में प्राथमिकी एफआईआर दर्ज करवाई है. वित्त वर्ष 2016-17 में एसबीआई व इसके पांच सहयोगी बैंकों सहित 27 सार्वजनिक बैंकों ने 81,683 करोड़ रुपये को बट्टे खाते में डाला. यह बीते पांच साल में सबसे बड़ी राशि है. पूर्व वित्त वर्ष की तुलना में यह राशि 41 प्रतिशत अधिक है.