
देहरादून निवासी अधिवक्ता शशांक उपाध्याय ने इस मामले में जनहित याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया है कि प्रदेश में वाहनों में हाईबीम लाइट लगाई जा रही है। कि मोटर यान अधिनियम के प्रावधान का उल्लंधन है। यही नहीं हाईबीम लाईट दुर्घटना का कारण बन रही है। रात में तेज रोशनी से सामने से आ रहे वाहन के चालक को दिखाई नहीं देने से कई बार दुर्घटना हो रही हैं। सरकार व प्रशासन स्तर पर इस मामले में सार्थक कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। याचिका में कहा गया कि रात्रि में होने वाली 90 प्रतिशत दुर्घटनाएं हाईबीम लाइट के कारण होती हैं। संयुक्त खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद वाहनों हाईबीम लाइट का उपयोग पूरी तरह प्रतिबंधित करने के निर्देश दिए हैं।
संयुक्त खंडपीठ ने डीआईजी कुमाऊं व गढ़वाल को हाईबीम लाईट को लेकर जन जागरूकता अभियान शुरू करने को कहा है। इसके लिए समाचार माध्यमों का उपयोग करने को कहा है। वहीं मातहत पुलिस कर्मियों को वाहनों में लगी हाई बीम लाइटों को हटाने के निर्देश देने को भी कहा है। इस प्रकार की लाइट का उयोग करते पाए जाने पर मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत चालान करने को कहा है। इसके साथ ही इस को लेकर दायर जनहित याचिका निस्तारित कर दी है।