
सूत्रों के मुताबिक चीन के डिप्टी चीफ मिशन ने नेपाल में अपने समकक्ष के डोकलाम मुद्दे पर चर्चा की है। उन्होंने इस बातचीत में चीन की स्थिति को भी स्पष्ट कर दिया है। चीन इस बात पर कायम है कि भारत के साथ किसी भी अर्थपूर्ण बातचीत के लिए भारतीय सैनिकों को डोकलाम से पीछे हटना ही पड़ेगा। चीनी राजनयिकों ने काठमांडू और बीजिंग में इसी मुद़दे पर नेपाल के अधिकारियों के साथ मुलाकात की है। चीन से अलग भारत ने कुछ हफ्तों पहले भारत ने अमेरिकी राजनयिकों से इस मुद्दे पर चर्चा की थी। अभी तक नेपाल की ओर से इस मुद्दे पर भारत से कोई भी जानकारी नहीं मांगी गई है लेकिन नेपाल में इस बात को लेकर चिंता है कि चीन, भारत और भूटान के बीच बढ़ता विवाद नेपाल के हित में नहीं है।
नेपाल के साथ भी एक विवादित हिस्सा
नेपाल, चीन और भारत के साथ दो ट्राइ-जंक्शन साझा करता है- पहला पश्चिमी नेपाल में लिपुलेख और पूर्वी नेपाल में झिनसांग चुली। लिपुलेख हमेशा से नेपाल की असुरक्षा की वजह रहा है। यह हिस्सा कालापानी विवादित क्षेत्र में है और इस पर भारत और नेपाल दोनों ही अपना-अपना हक जताते हैं। सारे तनाव के बीच ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अगले हफ्ते नेपाल की यात्रा पर जाने वाली हैं। सुषमा यहां पर एक सम्मेलन में हिस्सा लेंगी। यहां पर चीन के उप-प्रधानमंत्री भी पहुंचेंग और माना जा रहा है कि सुषमा डोकलाम विवाद पर चर्चा कर सकती हैं। इससे पहले पिछले हफ्ते सुषमा ने संसद पर डोकलाम विवाद पर बयान दिया है। उन्होंने कहा था कि दोनों देशों के बीच जारी विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाया जाएगा और जंग किसी भी विवाद को कोई हल नहीं है।