
आंकड़े निरंतर गिरे हैं। माह दर माह आधार पर जून में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ 1.2 प्रतिशत से घटकर महज 0.4 प्रतिशत रही। माइनिंग सेक्टर की ग्रोथ मई के -0.9 फीसदी के मुकाबले -0.4 प्रतिशत हो गई। वहीं माह दर माह के आधार पर जून में पॉवर सेक्टर की ग्रोथ 8,7 प्रतिशत.से घटकर मात्र 2.1 प्रतिशत रही। वहीं माह दर माह आधार पर जून में कैपिटल गुड्स प्रोडक्शन -3.9 प्रतिशत के मुकाबले –6,8 प्रतिशत रहा। जून में कंज्यूमर ड्युरेबल्स का प्रोडक्शन –4.5 प्रतिशत से बढ़कर –2,1 प्रतिशत रहा। वहीं कंज्यूमर नॉन-ड्युरेबल्स का उत्पादन 7,9 प्रतिशत घटकर 4.9 प्रतिशत रहा।
मार्च 2017 में आईआईपी के आंकड़े 2,7 पर थे और अप्रैल के दौरान इसमें बढ़त दर्ज हुई थी, लेकिन फिर मई के आंकड़े सरकार को उद्योगों की कमजोर स्थिति को बयान कर रहे हैं। मई के आंकड़ों के मुताबिक माइनिंग सेक्टर में कम मांग और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में आउटपुट में गिरावट के चलते यह आंकड़े खराब रहे हैं। यह एक सर्वमान्य सत्य है देश में आर्थिक गतिविधि मापने के लिए इन आंकड़ों का सही तरह से प्रकट किया जाना जरूरी है।
केंद्र सरकार के केन्द्रीय सांख्यिकी विभाग (सीएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल महीने के दौरान आईआईपी के आंकड़े 3,1 प्रतिशत थे जबकि मार्च में यह आंकड़े 2.7 प्रतिशत थे। गौरतलब है कि पिछले महीने और इस महीने आए ये आर्थिक आंकड़े इसलिए भी बेहद अहम हैं क्योंकि केन्द्र सरकार ने मई से इन आंकड़ों को मापने के लिए कीमतों का बेस ईयर 2004-05 से बढ़ाकर 2011-12 कर दिया था। इसी कारण, इस बार यह आंकड़े पुराने आंकड़े की अपेक्षा देश की इंडस्ट्रियल सेक्टर का ज्यादा सटीक आंकलन कर रहे हैं।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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