भोपाल। चाइल्ड केयर लीव मामले में मप्र शासन ने अलग अलग विभागों की महिला कर्मचारियों के लिए अलग अलग नियम बनाए हैं। मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने इस पर नाराजगी जताते हुए आदेशित किया कि शासन सभी महिला कर्मचारियों के लिए एक समान आदेश जारी करे। चाइल्ड केयर लीव महिला कर्मचारियों का अधिकार है और उसे उसने छीना नहीं जा सकता। आदेश जस्टिस विवेक अग्रवाल की कोर्ट ने मंगलवार को दिया।
मातृत्व अवकाश को लेकर भिंड की सहायक अध्यापक ज्योति कुशवाह ने हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका दायर की। इसमें कहा कि शासन की ओर से शिक्षक वर्ग को 730 दिन का चाइल्ड केयर लीव दी जाती है। लेकिन नगर निगम और जिला पंचायत की ओर से भर्ती किए अध्यापक वर्ग को यह अवकाश नहीं दिया जाता। हमें भी इसका लाभ दिया जाए। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एसके शर्मा ने कहा कि कोर्ट ऐसे ही मामलों में अन्य याचिकाकर्ताओं को राहत दे चुका है। इसलिए हमें भी राहत दी जाए।
हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद शासन को आदेश दिए कि शिक्षक संवर्ग की तरह ही अध्यापक संवर्ग को मातृत्व संबंधी लाभ देने के लिए शासन अलग से आदेश जारी करे। ज्ञात रहे कि शासन की महिला कर्मचारियों को 730 दिन की चाईल्ड केयर लीव दी जाती है। लेकिन नगर निगम और जिला पंचायत की ओर से नियुक्त सहायक अध्यापक,अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापक को यह अवकाश नहीं दिया जाता। इसे लेकर महिला अध्यापक लगातार कोर्ट में याचिका लगा रहीं थीं। इसमें कोर्ट की ओर से उनहें राहत दी जा रही थी। याचिकाकर्ता ज्योाति कुशवाह की याचिका पर हाईकोर्ट ने शासन को निर्देश दिए है कि अध्यापक वर्ग के लिए भी मातृत्व अवकाश के संबंध में आदेश जारी किए जाएं।