राकेश दुबे@प्रतिदिन। भारत के हर नागरिक की जरूरत रोटी, कपड़ा और मकान अब भी है। शहरों में मकान सबसे ज्यादा जरूरी है। यूँ तो भारत सरकार के नीति आयोग ने शहरी इलाकों में लोगों को सस्ता घर उपलब्ध कराने के लिए अपना कार्यक्रम तैयार कर लिया है। यह कार्यक्रम जिसे एक्शन अजेंडा कहा जा रहा है कितना कारगर होगा समय बतायेगा। आयोग का मानना है कि स्टांप ड्यूटी घटाकर और फ्लोर स्पेस एरिया बढ़ाकर इस समस्या का निदान किया जा सकता है। आयोग ने ‘तीन वर्षीय ऐक्शन अजेंडा 2017-18 से 2019-20 के तहत केंद्र सरकार को अपनी सिफारिशें सौंप दी हैं। नीति आयोग की एक सिफारिश यह भी है कि केंद्र और राज्य सरकारों की जो जमीनें शहरी इलाकों में बेकार पड़ी हैं, या जो अवैध कब्जे की शिकार हैं, उन्हें भी सस्ते आवास के लिए छोड़ा जाना चाहिए।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने काफी मंथन के बाद इन सिफारिशों को जारी कर दिया है। दरअसल शहरी क्षेत्रों में कम कीमत के मकान उपलब्ध कराना सरकार के लिए एक चुनौती बना हुआ है। अलग-अलग राज्यों में स्टांप ड्यूटी की दरें अलग-अलग हैं लेकिन औसतन यह देश भर में 6 से 8 प्रतिशत के बीच है। राज्य सरकारों का कहना है कि इसमें कमी लाने से उनके खजाने पर बुरा असर पड़ेगा। इसके विपरीत नीति आयोग का मानना है कि स्टांप ड्यूटी कम होने से राजस्व में कमी नहीं आती। लोग खरीदे जा रहे मकान की पूरी कीमत इसलिए नहीं दिखाते कि स्टांप ड्यूटी कम लगेगी। इससे कालेधन को बढ़ावा मिलता है।नीति आयोग की राय सही है। ऐसा व्यवहारिक रूप से होता है। इस पर फ़िलहाल कोई नियंत्रण भी नहीं है।
नीति आयोग की इस बात में भी कि फ्लोर स्पेस एरिया बढ़ा देने से बिल्डरों को भी कुछ राहत मिलेगी, जिसका उपयोग मकानों की कीमत कम करने में किया जा सकता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इन सिफारिशों को अमल में लाने से हाउसिंग और रीयल एस्टेट बिजनस में क्या कुछ होता है। घर-दुकान-दफ्तर की आसमान छूती कीमतों ने मध्यम वर्ग को भी जिस तरह इनकी खरीद-फरोख्त से दूर कर दिया है, उसे देखते हुए सरकार की ओर से कोई बड़ी पहल जरूरी है। ब्याज दरों में कटौती और रेरा कानून का लागू होना पहले से ही सुस्ती के शिकार इस सेक्टर को नोटबंदी और जीएसटी से लगे झटकों की भरपाई नहीं कर पाया है। इतना तय है कि भवन निर्माण क्षेत्र में सक्रियता बढ़ाए बगैर भारतीय अर्थव्यवस्था में आम लोगों का भरोसा नहीं लौटेगा, भले ही जीडीपी के आंकड़े कुछ भी कहानी कहते रहें। मकान आदमी की अनिवार्य आवश्यकता है, इसके लिए सुगम तरीके निरंतर खोजे जाना चाहिये।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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