
बिनेगा आश्रम विवाद की शुरूआत उस समय हुई जब शिवपुरी में सक्रिय एक सामाजिक संस्था 'सहरिया क्रांति' के बैनर तले सैंकड़ों आदिवासी रैली की शक्ल में ज्ञापन लेकर तत्कालीन कलेक्टर ओ.पी. श्रीवास्तव के सामने पहुंचे। इस रैली के विरोध में आश्रम की ओर से भी एक रैली का आयोजन किया गया। इसी के साथ मामले की जांच पड़ताल शुरू हो गई। आश्रम की ओर से मामले में हाईप्रोफाइल प्रेशर का उपयोग किया गया। मप्र शासन के एक मंत्री इस दौरान आश्रम में माथा टेककर आए ताकि कलेक्टर को आश्रम की ताकत का अहसास हो और प्रशासन आश्रम के पक्ष में जांच रिपोर्ट तैयार करे।
सहरिया क्रांति के संयोजक संजय बेचैन का कहना है कि कलेक्टर तरुण राठी एवं एसपी सुनील पाण्डे इस मामले में आदिवासियों की आवाज को दबने नहीं दिया। इधर अनुसूचित जनजाति आयोग की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती अनुसुइया उइके ने भी शिवपुरी दौरे के दौरान बिनेगा आश्रम विवादस्थल का निरीक्षण किया। एक लम्बी जद्दोजहद के बाद आज आदिवासियों को कलेक्टर के निर्देश पर आदिम जाति कल्याण विभाग के सीओ कुशवाह ने मौके पर पहुंचकर आवासीय पट्टे प्रदान किए। कुल 62 आदिवासी परिवारों को यह पट्टे प्रदान किए गए।