पटना। उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं सपा चीफ अखिलेश यादव की मोस्ट ब्यूटीफुल स्पोक्सपर्सन पंखुड़ी पाठक अब बिहार में लालू यादव के बेटे तेज प्रताप यादव के साथ दिखाई दे रहीं हैं। सोशल मीडिया पर दोनों की ज्वाइंट पिक फायरल हो रही है। पंखुड़ी ने यूपी इलेक्शन में सपा की हार के बार रिजाइन कर दिया था। उन्होंने लालू की पार्टी ज्वाइन की या नहीं यह तो नहीं पता लेकिन पटना के गांधी मैदान में हुई आरजेडी की महारैली के दौरान मंच पर मौजूद थीं।
पंखुड़ी पाठक दिल्ली यूनिवर्सिटी में लॉ की स्टूडेंट हैं। इसी साल यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने उन्हें पार्टी का स्पोक्सपर्सन बनाया था। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर पार्टी का स्टैंड रखने के लिए अप्वाइंट किया गया था। पंखुड़ी का जन्म 1992 में हुआ था। दिल्ली में रहने वाली 24 साल की पंखुड़ी नॉन पॉलिटिकल बैकग्राउंड से हैं। उनके पिता जेसी पाठक और मां आरती पाठक डॉक्टर हैं, जो प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। उनका छोटा भाई चिराग पाठक है जो अभी ग्रैजुएशन फर्स्ट ईयर का स्टूडेंट है।
लड़ चुकी हैं छात्र संघ चुनाव
पंखुड़ी लंबे समय से समाजवादी पार्टी की छात्र सभा से जुड़ी रही हैं। 2010 में हंसराज कॉलेज के चुनाव में उन्होंने ज्वाइंट सेक्रेटरी पद का चुनाव जीता। उस समय इनकी उम्र लगभग 18 साल थी। उन्होंने 2 से 3 साल तक पार्टी की तरफ से प्रत्याशियों को छात्रसंघ का चुनाव भी लड़ाया। इसके बदले में पार्टी ने रिटर्न गिफ्ट देते हुए उन्हें 2013 में लोहिया वाहिनी का नेशनल सेक्रेटरी बना दिया। पंखुड़ी सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव हैं। फेसबुक पर उनके हजारों फॉलोअर हैं।
लालू की महारैली में थी मौजूद
पंखुड़ी पाठक 27 अगस्त को पटना के गांधी मैदान में हुई आरजेडी की महारैली के दौरान मंच पर मौजूद थी। समाजवाद में आस्था होने के चलते ही वह 2010 में पार्टी से जुड़ीं। यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव की क्रांति रथ यात्रा में भी उन्होंने भाग लिया था।
सपा से रिजाइन कर चुकीं हैं
मई 2017 में पंखुड़ी ने सपा से रिजाइन कर दिया था। उन्होंने फेसबुक पर इसकी जानकारी देते हुए बताया था कि “2017 विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद से एक विशेष समुदाय के लोग मुझे निशाना बना रहे हैं और मेरे खिलाफ अभियान चला रहे हैं। इसके पीछे की वजह मेरी जाति और जेंडर (लिंग) है। यहां बहुत से ऐसे लोग हैं जो सोचते हैं कि ब्राह्मण महिला पार्टी के लिए कलंक है। मैं बहुत लंबे समय से इन लोगों को अनदेखा करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन अब सारी हदें पार हो चुकी हैं।” मैं समझती हूं कि बहुत से लोग मुझ पर लड़ाई न लड़ने का आरोप लगाएंगे, लेकिन मेरी प्राथमिकताएं सही हैं। एक महिला के तौर पर मेरा आत्म सम्मान और गरिमा, राजनीतिक आकांक्षा से कही अधिक है। उन्होंने आगे लिखा- मेरा मानना था कि सामाजवादी पार्टी एक ऐसी पार्टी है जो कि सामाज के सभी तबकों का खयाल रखती हैं लेकिन पार्टी के प्रति मेरा यह विश्वास अब पहले की तरह नहीं रहा।