
28 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के तमाम हाई कोर्ट से कहा था कि प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के दो जिलों में निचली अदालतों में कोर्ट रूम में सीसीटीवी लगाया जाए, साथ ही जहां जरूरी समझा जाए वहां भी लगाया जाए। इस बारे में अडिशनल सलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने रिपोर्ट पेश की और कहा कि 12 हाई कोर्ट की ओर से रिपोर्ट आई है कि दो-दो जिलों में कोर्ट के निर्देश के मुताबिक सीसीटीवी लगाया गया है।
इस दौरान सिंह ने दलील दी कि ऑडियो रिकॉर्डिंग भी होनी चाहिए। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्राइब्यूनल की कार्रवाही की भी रिकॉर्डिंग होनी चाहिए। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके गोयल ने कहा कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का क्या होना चाहिए। विदेश में तो संवैधानिक बेंच की कार्यवाही की विडियो और ऑडियो रिकॉर्डिंग होती है। ये निजता का मामला नहीं है। यूएस के सुप्रीम कोर्ट में तो ऑडिओ और विडियो रिकॉर्डिंग होती है और लोग यू ट्यूब पर देख सकते हैं, अपने मोबाइल में कार्यवाही देख सकते हैं।
अडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने तब कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ई -कमिटी ने इसे नकार दिया था। तब सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ने कहा कि वो तो प्रशासनिक आदेश था। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यू यू ललित ने कहा कि कोर्ट ऑफ रिकॉर्ड का मतलब तो ये होता है कि सभी चीजों का रिकॉर्ड हो, इससे कार्यवाही में बाधा नहीं आएगी।
बहरहाल सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि ट्राइब्यूनल में सीसीटीवी लगाने पर विचार करे और हाई कोर्ट से कहा है कि अन्य कोर्ट में भी सीसीटीवी लगा सकती है। साथ ही ऑडियो रिकॉर्डिंग भी हो सकती है। कोर्ट ने यह साफ किया कि यह रिकॉर्डिंग आरटीआई के लिए नहीं होगी।