
वे सभी गरीब महादलित और आदिवासी समुदायों से संबंधित हैं और रोजगार के रूप में दिहाड़ी मजदूरी करके अपनी जरूरतों को पूरा करते हैं। भारी बारिश और अफनती गंगा ने उन्हें फिर से डरा दिया है। इसके कारण वे अपने सभी सामान लेकर पेड़ों में रहने के लिए चले गए हैं।
वे पेड़ों की अलग-अलग शाखाओं में बांस बांधकर उसके ऊपर रहने की व्यवस्था कर रहे हैं। बारिश के पानी से बचने के लिए उन्होंने सिर के ऊपर तिरपाल लगा ली है। उन्हें दूसरी जगह बसाने का आश्वासन दिए जाने के बावजूद प्रशासन उन्हें वहां से हटाने या उन्हें मकान बनाने में मदद करने में विफल हो गया है। एक ग्रामीण ने कहा कि हम भूमिहीन लोग हैं और हमें भूमि के पट्टे मिलने चाहिए थे।
मगर, अब तक कुछ नहीं हुआ है। हम पेड़ों में बदलाव करने के लिए मजबूर हैं। हालांकि, आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी अम्लेंदु कुमार ने बताया कि सभी प्रभावित परिवार सबौर ब्लॉक ऑफिस में शिफ्ट हो सकते हैं, जो गांव से महज एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हमने इस इमारत को बेघर लोगों की शेल्टर के रूप में बदल दिया है।