नई दिल्ली। जिनकी याददाश्त दुरुस्त है उन्हे प्याज और भाजपा का रिश्ता अच्छे से याद होगा। एक बार फिर देश भर में प्याज के दाम बढ़ते जा रहे हैं। हालात नियंत्रण से बाहर जाएं इससे पहले ही इस बार मोदी सरकार पुख्ता कदम उठाना चाहती है। उसने राज्य सरकारों को निर्देशित किया है कि वो प्याज के जमाखोरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। बताते चलें कि प्याज के बढ़ते दामों के कारण अटल बिहारी सरकार वापस सत्ता में नहीं आ पाई थी। बात 1998 की है। उन दिनों भी प्याज की कीमतें तेजी से बढ़ती चली गईं थीं। लोगों का कहना था कि जो सरकार प्याज जैसी चीज के दाम नियंत्रित नहीं कर सकती वो पार्टी देश क्या चलाएगी।
मंगलवार को जारी बयान के मुताबिक केंद्र सरकार ने 25 अगस्त को अधिसूचित अपने आदेश में कहा है कि डीलरों के पास प्याज की सीमा निर्धारित करने से लेकर अन्य कदम उठाएं। पिछले कुछ दिनों से प्याज की कीमतों में एकाएक तेजी देखने को मिल रही है, जबकि साल 2016 की समान अवधि की तुलना में इस साल प्याज की आपूर्ति और उत्पादन बेहतर है। इन्हें देखते हुए सरकार का कहना है कि प्याज की कीमतों में अनावश्यक वृद्धि के लिए जमाखोरी और सट्टेबाजी ही जिम्मेदार है।
बयान में कहा गया, "इसलिए, राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को उन व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई करना जरूरी है, जो प्याज में सट्टा कारोबार, जमाखोरी और मुनाफाखोरी में लगे हुए हैं। बयान में कहा गया है कि इन उपायों से कीमतों को उचित स्तर तक लाने और उपभोक्ताओं को तत्काल राहत देने की उम्मीद है। अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य के अनुसार, प्याज की कीमतें 15 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 28.94 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं।
महानगरों की बात करें तो चेन्नई में प्याज 31 रुपये प्रति किलोग्राम, दिल्ली में 38 रुपये, कोलकाता में 40 रुपये और मुंबई में 33 रुपये प्रति किलोग्राम तक की कीमत पर बिक रही है।