
याचिकाकर्ता के मुताबिक किताब पर नीतीश कुमार ने भी छापने की सहमति दी है। किताब का नाम है स्पेशल कैटेगरी स्टेट्स- ए केस ऑफ बिहार। इस मामले में याचिकाकर्ता ने नीतीश कुमार को भी एक प्रतिवादी बनाया है। अपना नाम प्रतिवादी की सूची से हटाने संबंधी अपनी याचिका में नीतीश कुमार ने कहा कि उन्होंने इस पुस्तक का समर्थन भले ही किया है, लेकिन वे इस पुस्तक के लेखक नहीं हैं।
हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि जेएनयू के दो सुपरवाइजर्स ने यह प्रमाणपत्र दिया है कि अतुल कुमार सिंह का काम ऑरिजिनल है और उसे 14 मई 2009 में रिलीज किया गया था जो पुस्तक की रिलीज से पहले की है। इसलिए याचिकाकर्ता को नीतीश कुमार के खिलाफ याचिका दायर करने का पूरा अधिकार है। बता दें कि अतुल कुमार सिंह ने कॉपीराइट उल्लंघन का आरोप लगाते हुए 25 लाख रुपए के मुआवजे की मांग की है।