भोपाल। अपने बयानों में मप्र की शिवराज सिंह सरकार को हमेशा टारगेट करने वाले नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह कागजी कार्रवाई में कच्चे साबित हुए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रमुख सचिव एंटोनी डिसा, फूड एंड सप्लाइज आयुक्त दीपाली रस्तोगी और मुख्य सचिव के खिलाफ भोपाल कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया था परंतु कोर्ट ने उसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि आवेदन में वाद कारण ही उत्पन्न नहीं हो रहा है।
नेता प्रतिपक्ष ने शिवराज सिंह सरकार की ओर से जारी किए गए एक विज्ञापन पर आपत्ति जताते हुए राजधानी की जिला अदालत में एक याचिका दायर की थी। जिसमें आरोप लगाया गया था कि शिवराज सरकार ने 28 जनवरी 2012 और 26 अप्रैल 2012 को संपूर्ण प्रदेश के दैनिक अखबारों में विज्ञापन छपवाए थे। विज्ञापनों में यूपीए की केन्द्र सरकार द्वारा जानबूझकर बोरे आपूर्ति नहीं किए जाने संबंधी दुष्प्रचार किया गया था। प्रदेश सरकार ने यह झूठे विज्ञापनों का प्रकाशन कराकर अपनी लापरवाहियों को केन्द्र पर मढ़ने की कोशिश की है।
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने 20 फरवरी 2017 को याचिका पेश करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रमुख सचिव एंटोनी डिसा, फूड एंड सप्लाइज आयुक्त दीपाली रस्तोगी और मुख्य सचिव को विज्ञापनों के प्रकाशन कर दुष्प्रचार करने का दोषी करार दिया था। याचिका में अदालत से मांग की गई थी कि दैनिक अखबारों में जो झूठे विज्ञापन प्रकाशित किए गए हैं, वे आम जनता की कमाई है, जिसका खर्च मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और फूड एंड सप्लाइज आयुक्त से वसूल कर राजकोष में जमा किए जाने के आदेश पारित किए जाएं।
मामले की सुनवाई करते हुए अपर-सत्र न्यायाधीश रविन्द्र प्रताप सिंह चुंडावत ने नेता प्रतिपक्ष की याचिका को खारिज कर दिया। अपने आदेश में उन्होंने कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता का व्यक्तिगत हित नहीं बनता न ही उसके अधिकार का कोई उल्लंघन हुआ है। अदालत ने वाद कारण उत्पन्न न होने से याचिका खारिज कर दी।