नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की वार्षिक रिपोर्ट आ गई है। एक बार फिर नोटबंदी पर बहस शुरू हो गई है। विपक्ष इस मामले में लगातार हमलावर है। इसे स्वतंत्र भारत का सबसे बुरा निर्णय बताया जा रहा है। कालेधन और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए नोटबंदी को एक बड़ी कार्रवाई बताया गया था परंतु इस रिपोर्ट ने इस पर सवाल उठाने का मौका दे दिया है। वित्तमंत्री अरुण जेटली बचाव की मुद्रा में हैं।
अरुण जेटली ने कहा कि नोटबंदी का उद्देश्य डिजिटलाइजेशन और आतंकवाद के वित्त पोषण पर चोट करना था। पत्रकारों के बात करते हुए वित्त मंत्री ने कहा, “भारत मुख्य रूप से उच्च नकदी वाली अर्थव्यवस्था है, इसलिए उस स्थिति में काफी बदलाव की आवश्यकता है। प्रत्यक्ष कर आधार में विस्तार हुआ है और ठीक ऐसा ही अप्रत्यक्ष कर के साथ भी हुआ है, यही नोटबंदी का प्रथम उद्देश्य था। अब करदाताओं की संख्या ज्यादा है, टैक्स आधार बढ़ा है, डिजिटलीकरण बढ़ा है, सिस्टम में नकदी में कमी आई है, यह भी नोटबंदी के प्रमुख उद्देश्यों में से एक था।”
वित्त मंत्री ने आगे बताया कि नोटबंदी ने आतंकवादियों और पत्थरबाजों को मिलने वाली नकदी के प्रभाव को कम किया है, जैसा कि छत्तीसगढ़ और कश्मीर में देखा जा सकता है। वहीं इसी बीच वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने सरकार और आरबीआई पर नोटबंदी के फैसले के लिए आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि सिर्फ एक फीसदी प्रतिबंधित नोट वापस नहीं आ सके और आरबीआई के लिए यह शर्म की बात है। चिदंबरम जो कि पूर्व वित्त मंत्री भी रहे हैं ने बताया कि 500 रुपये और 1,000 रुपये के पुराने 99 फीसदी नोट वैधानिक तौर पर आरबीआई के वापस आ गए हैं। इस पर सवाल पूछते हुए उन्होंने कहा कि क्या नरेंद्र मोदी सरकार ने नोटबंदी का यह फैसला काले धन को सफेद करने के लिए लिया था?