
उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी का किया जिक्र
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजीव जैन ने बलात्कार के एक मामले में उच्चतम न्यायलय की टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा, बलात्कार केवल शरीर का जख्म नहीं है, यह पीड़ित के पूरे व्यक्तित्व को तबाह देता है। एक हत्यारा पीड़ित के शरीर को नष्ट करता है, एक बलात्कारी बेबस महिला की आत्मा तक को कुचल देता है। पीड़िता ने बयान दिया कि उसकी रिश्ते की बहन के पति ने उसका 26 मार्च 2016 की रात बलात्कार किया। अदालत ने पीड़िता के बयान पर भरोसा किया और व्यक्ति के इस दावे को खारिज कर दिया कि पीड़िता ने उसे गलत तरीके से फंसाया।
महिला झूठा आरोप नहीं लगा सकती
कोर्ट ने कहा, हमारा समाज रूढ़िवादी है, इसलिए एक महिला, खासकर अविवाहित युवती जबरन यौन उत्पीड़न का झूठा आरोप लगाकर अपनी प्रतिष्ठा को खतरे में नहीं डालेगी। अदालत ने कहा कि यौन उत्पीड़न के कारण पीड़ित को घृणा, अपमान और अत्यंत शर्मिंदगी जैसी भावनाओं से गुजरना पड़ता है। यह उसके लिए सदमा होता है। अदालत ने पीड़िता के इस बयान पर भी भरोसा किया कि उसने बलात्कार के तीन दिन बाद शिकायत की जब व्यक्ति उसके घर फिर उसका बलात्कार करने आया। उसने कहा कि वह डर गई थी।