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लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री रूस्तम सिंह ने बताया कि हर साल गर्मी की समाप्ति और वर्षा ऋतु के आरंभ पर पहले पानी की कमी फिर वर्षा के कारण पानी प्रदूषित होने पर जल-जनित बीमारियों के फैलने की संभावना बढ़ जाती है। प्रदेश के प्रत्येक गाँव के आरोग्य केन्द्र तथा डिपो होल्डर के पास पर्याप्त मात्रा में ब्लीचिंग पाउण्डर, जीवन रक्षक घोल, क्लोरीन, क्लोरोक्वीन, पैरासिटामोल, मैट्रोनिडाजॉल आदि की गोलियाँ उपलब्ध करवाई गई हैं। सेक्टर प्रभारी, बहुउद्देशीय कार्यकर्ता और आशा के माध्यम से संक्रामक बीमारियों के तत्काल रोकथाम के प्रयास किये जा रहे हैं। किसी गाँव में बीमारी प्रकरण होने पर आशा इसकी सूचना संबंधित विकासखंड चिकित्सा अधिकारी को देती है ताकि उसकी रोकथाम के तत्काल कदम उठाये जा सकें।
श्री सिंह ने दूषित पानी से होने वाली बीमारियों से बचने के लिये ये सावधानी बरतने की अपील की है। खाने-पीने में हमेशा साफ- शुद्ध पानी का उपयोग करें। शौच से आने के बाद साफ पानी और साबुन से हाथ अच्छी तरह धोयें। ताजे बने भोजन और खाद्य वस्तुओं का सेवन करें। हमेशा भोजन व अन्य खाद्य सामग्री को ढंक कर रखें ताकि मक्खियों, धूल आदि से दूषित न हो। यदि पानी दूषित लगता हो तो उसे उबालकर साफ कपड़े से छान लें। क्लोरीन की गोली डालें, एक घंटे बाद उपयोग करें।
स्वाईन फ्लू के 11 मरीज उपचाररत
स्वास्थ्य विभाग द्वारा आज स्वाईन फ्लू, डेंगू, चिकनगुनिया और संक्रामक रोगों की दैनिक समीक्षा में बताया गया कि 1 जुलाई से 8 अगस्त तक स्वाईन फ्लू के 95 सेम्पल भेजे गये जिनमें 91 की रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है। इनमें 17 पॉजिटिव हैं और 4 सेम्पल की रिपोर्ट आना शेष है। वर्तमान में शासकीय अस्पताल में 3 और निजी अस्पताल में 8 स्वाईन फ्लू मरीज उपचाररत हैं। आलोच्य अवधि में 14 जिलों में 42 डेंगू के मरीज पाये गये। 8 अगस्त को 4 प्रयोगशाला में 28 सेम्पल भेजे गये थे जिसमें 2 डेंगू प्रभावित पाये गये। इस अवधि में चिकनगुनिया के 14 संदिग्ध मरीज मिले थे लेकिन जाँच में निगेटिव रिपोर्ट आई। प्रदेश में स्वाईन फ्लू से एक मरीज की मृत्यु हो चुकी है।