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छात्र मार्कशीट की फीस पूर्व में ही दे चुके हैं लेकिन छात्र परेशान हो रहे है। इसकी किसी भी आला अधिकारियों को चिंता नहीं है। छात्रों के द्वारा बार बार पूछने पर अधिकारी गुमराह कर रहे है। उनसे कहा जाता है कि एक माह के अंदर उनकी मार्क शीट उनके संस्थान में पहुच जाएगी, लेकिन वो माह कौंन सा है किसी को पता नहीं है। कुछ अधिकारियों का कहना है कि कोलकाता की कम्पनी से उच्च अधिकारियों से मिलीभगत की वजह से यह स्तिथि बनी है।
वैसे जेयू में पिछले सात महीनों से मार्कशीट के लिए घमासान मचा हुआ है। विगत वर्ष 2016 में आयोजित परीक्षाओं की 80 हज़ार मार्कशीट में से करीब 55 हज़ार मार्कशीट करप्ट आई। जिसे लेकर यूनिवर्सिटी में काफी हंगामा हुआ। छात्रों ने मार्कशीट में सुधरवाने के लिए सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत कर रहे है परंतु स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। इतना बड़ा घटनाक्रम होने के बाबजूद जेयू प्रबन्धन ने उनकी चाहती कम्पनी को सिंगल नोटिस तक जारी नही किया है।
राजभवन से चुनकर ईसी मेम्बर भी छात्र समस्याओं को नजरअंदाज कर निजी लाभ के लिए विश्वविद्यालय प्रबन्धन की हां में हां मिलाने में लगे है, पिछली कार्यपरिषद में कम्पनी को खस्ताहाल बताकर 15 लाख से अधिक के भुगतान पर सहमति देकर अपनी मानसिकता जाहिर कर दी। ईसी की बैठक में छात्रहित के मुद्दे लगभग गायब थे।
डॉ आनंद मिश्र कुलसचिव जेयू से सीधी बात के कुछ अंश-
प्र.1 सात माह के करीब ढाई लाख यूजी ओर पीजी की मार्कशीट के लिए भटक रहे है।
प्रो मिश्रा-मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, यह तो गम्भीर बात हैं, में कल ही जिम्मेदार अधिकारियों को तलब करूँगा।
प्र.2 पिछले साल 55 हज़ार मार्कशीट करप्ट करने के बाद भी कम्पनी को नोटिस न देते हुए भुगतान कर दिया।
प्रो मिश्रा- हमने पूर्व में भुगतान रोका था। हम छात्रों के साथ है, उनकी मार्कशीट जल्द मिलेगी छात्रों को टेंशन लेने की जरूरत नही है।
प्र.3 छात्रों को हुई इस परेशानी, आर्थिक हानि का जिम्मेदार कौन है।
प्रो मिश्रा- थोड़ी देर चुप रहने के बाद बोलते है कि कही न कही गलती हुई है, इसकी जांच की जाएगी।