
मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि यह पहला उदाहरण है कि चतुर्थ श्रेणी के पदों पर कार्य करने वाले संविदा कर्मचारियों जिनकी नियुक्ति एमपी आनलाईन और व्यापम के माध्यम से ली गई परीक्षा में मेरीट के आधार पर की गई हो ऐसे कर्मचारियों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के प्रबंधन ने बिना किसी कारण बतलाये व बिना किसी दावा आपत्ति लिये डीडीसी सर्पोर्ट स्टाफ की सेवाएं रोगी कल्याण समिति जो कि एक तरह की आऊट सोर्सिग एजेंसी है को सौंप दी।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन यहीं नहीं रूका 7099 रूपये पाने वाले दवा वितरक सहायकों (डी.डी.सी सपोर्ट स्टाफ) का वेतन 5000 रूपये नियत कर दिया। महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में अंधेर नगरी चौपट राजा तरह प्रराईवेट लिमिटेड कम्पनी की तरह चल रहा है जिसकी जो मर्जी है वो आदेश जारी कर रहा है इसलिए वर्षो से जमे यहां के अधिकारियों को हटाया जाए।