
शास्त्रों के अनुसार *कन्यादये धनुर्युग्मे चंद्रे भद्रा रसातले* अर्थात जब चंद्रमा कन्या तुला धनु तथा मकर राशि मॆ होता है उस समय भद्रा पाताललोक मॆ होती है। चूंकि रक्षाबंधन पर्व मकर राशि के चंद्रमा मॆ होता है। इसीलिये भद्रा का निवास पाताल मॆ होने के कारण भूमिलोक पर इसका कोई प्रभाव नही पड़ेगा। इसके अलावा भद्रा के शुभ अशुभ विचार मॆ कहा गय़ा है "स्वर्गे भद्रा धन धान्य पाताले च धनागम* अर्थात जब भद्रा पाताल मॆ रहती है तो उस समय धनदायक रहता है। इसीलिये ब्रम्हामुहूर्त से 10:39 तक रक्षाबंधन का पर्व धनदायक रहेगा।I
सोमवार तथा चूडामनी ग्रहण योग
श्रावण माह भगवान शिव का प्रिय माह है तथा सोमवार का दिन शिवजी को सबसे ज्यादा प्रिय है। इस बार रक्षाबंधन का त्योहार तथा श्रावण पूर्णिमा सोमवार को आ रही है जो सर्वार्थसिद्धि के लिये महत्वपूर्ण है।
चूडामनि ग्रहण योग
जब सोमवार को चंद्र ग्रहण पड़ता है तो इसे चूडामनि ग्रहण योग कहते है तथा सोम चूडामनि ग्रहण मॆ दान पुण्य का महत्व अनंत गुना होता है शास्त्रों मॆ कहा गय़ा है *ततपुण्य कोटिगुणित ग्रासे चूडा मनी स्मृति* अर्थात चूडा मनी ग्रहण योग मॆ दान पुण्य का अनंत कोटि फल होता है।इसके श्रावण पूर्णिमा दूसरा रक्षाबंधन ये दो मुहूर्त इस दिन खास है। इसीलिये इस दिन चंद्र ग्रहण के समय पवित्र नदी मॆ स्नान करे तथा याचकों को दान दें। इस समयावधि मॆ शिव नाम तथा शिव स्त्रौत्र का पाठ अनंत गुना फल देता है। कुछ लोग सत्य नारायण की पूजा भी करते है वे भी सूतक लगने से पहले अपनी पूजा सम्पन्न कर लें।
प.चंद्रशेखर नेमा"हिमांशु"
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