सर्वेश त्यागी/ग्वालियर। सुरक्षाबलों में छोटे कर्मचारियों की प्रताड़ना के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। अपने प्रभाव और कानूनी अधिकारों का फायदा उठाते हुए वरिष्ठ अधिकारी अक्सर ऐसे मामलों को दबा देते हैं। ताजा मामला ग्वालियर से आ रहा है। यहां एसएएफ के एक जवान की मौत हो गई। वो 15 दिन से अस्पताल में भर्ती था लेकिन डॉक्टर उसे बचा नहीं पाए। आरोप है कि भोपाल में एसएएफ के अधिकारियों एवं जवानों ने उसे बेरहमी से पीटा था जिसके कारण वो बेहोश गया था। चौंकाने वाली बात तो यह है कि अधिकारियों ने भोपाल में उसका इलाज भी नहीं कराया बल्कि उसे घर भिजवा दिया।
मिली जानकारी के अनुसार मनीष त्रिपाठी उम्र 45 एसएएफ की 18वीं बटालियन में सिपाही था और ग्वालियर में बी 13 आरपी कॉलोनी तानसेन नगर हजीरा में अपने परिजनों के साथ रहता था। उसकी बटालियन शिवपुरी में है। उसकी ड्यूटी भोपाल में डी कंपनी में थी। बताया जाता है कि 8 अगस्त को मनीष की बटालियन के कम्पनी कमांडर का फोन आया कि मनीष की तबियत खराब है, जिसपर मनीष की माँ उमा भोपाल पहुची। भोपाल में मनीष एक होटल के कमरे में बेहोश की हालत में था। उसकी मां से कंपनी के कमांडर से बात करके मनीष को अस्पताल में भर्ती करने के लिए कहा, कमांडर ने कहा कि वह उसका इलाज ग्वालियर करवाये। यहाँ पर केस बन सकता है। माँ के ज्यादा जिद पर कपनी कमांडर ने मनीष को प्राइवेट डाक्टर को दिखा दिया। दो दिन तक माँ मनीष की हालत में सुधार न देखर तो माँ 13 अगस्त को मनीष की माँ मनीष को ग्वालियर ले आई जहां उसे जयारोग्य अस्पताल में भर्ती कराया गया।
15 अगस्त मंगलवार को शाम 7: 53 अगस्त को इलाज के दौरान मनीष की मौत हो गई। परिजनों को मरने से पहले मनीष ने बताया कि 31 जुलाई को उसके साथियों ने उसके साथ जमकर मारपीट की थी। परिजनों ने मौत के बाद अस्पताल में हंगामा किया। जिसके बाद वहां पुलिस वहाँ पहुँची और परिजनों के बयान पर मनीष की मौत को संदिग्ध मानते हुए शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
इस मामले मनीष के बहन सोनाली शर्मा ने बताया कि मनीष की मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई है और उसके साथ भोपाल में मारपीट भी हुई है। क्योंकि मनीष को ग्वालियर भेजने के बाद कम्पनी से फोन आया कि मनीष पहुँचा गया और उसकी तबियत केसी है, करीब 5/6 दिन से उसका फोन स्विच ऑफ आ रहा था। जब मॉ भोपाल पहुँची तो मनीष बेहोशी हालात में मिला।
डी कम्पनी कमांडर बलबंत सिंह गौतम ने बताया कि मनीष 1 अगस्त को 2 महीने की छुट्टी लेकर गया था, उसी दिन एक सिपाही डाक लेकर निकला था दोनों झांसी तक साथ में थे। 8 अगस्त को मनीष बैग लेने कंपनी में आया था तो उसकी तबियय खराब थी, कई बार पूछा परन्तु उसने कुछ नही बतया, कंपनी में उसके साथ कुछ नहीं हुआ।
इन सवालों पर घरवालों को शक हो रहा है
1. कंपनी कमांडर ने मनीष को छुट्टी देने की बजाय उसकी माँ को फोन करके बताया, ऐसी क्या जरूरत पड़ी जो घरवालों को बताना पड़ा।
2. मनीष को ग्वालियर भेजने के अगले दिन मनीष की खबर लेने शिवपुरी से एक सिपाही भी आया था।
3. कमाण्डर ने मनीष के परिजनों से कहा कि इसका इलाज ग्वालियर करवाओ यहाँ केस बन सकता है।
4. मनीष को ग्वालियर को भेजने के बाद कम्पनी से बार बार फोन करके पूछ रहे थे कि मनीष ग्वालियर पंहुच गया और उसकी तबियत कैसी है।
5. मनीष के हाथ पैर और पीठ पर चोट के निशान मौजूद थे।