
रजिस्ट्रेशन के नाम पर रकम जमा करवाते थे
पुलिस की दोनों टीमों ने दोपहर करीब चार बजे धर्मेंद्र के दफ्तर पर दबिश दी। टीम ने सवाल किया कि यहां क्या चल रहा है तो धर्मेंद्र ने जवाब दिया सर ये तो आइडिया का कॉल सेंटर है। अंदर 20 युवतियां और 8 युवक अलग-अलग कॉल कर रहे थे। उन्हें बाकायदा मोबाइल नंबर की सीरीज दे दी जाती थी। ये सभी बेरोजगारों को नौकरी का लालच देकर तीन अलग-अलग बैंक खातों में रजिस्ट्रेशन के नाम पर रकम जमा करवाते थे। जो उम्मीदवार रकम जमा कर देते थे, उन्हें आगे झांसे में लेने का काम धर्मेंद्र और प्रियेश करते थे।
हर महीने करीब दो लाख रुपए तनख्वाह
आरोपी धर्मेंद्र अपने सभी कर्मचारियों को हर महीने करीब दो लाख रुपए तनख्वाह देता था। कॉल करने वाले कर्मचारियों में ज्यादातर कॉलेज छात्र-छात्राएं हैं, जिन्हें पता ही नहीं कि वे किसी जालसाज से जुड़े हैं। तीन उम्मीदवारों से रकम जमा करवाने वाले कर्मचारी को धर्मेंद्र 1500 रुपए इन्सेंटिव के रूप में देता था। अब तक उम्मीदवारों से 2000 रुपए से लेकर 94 हजार रुपए तक जमा करवाए जाने का रिकॉर्ड पुलिस को मिला है।
तीस से ज्यादा सिमकार्ड हासिल
पूछताछ में आरोपियों ने बताया है कि ये कॉल सेंटर करीब एक साल से संचालित हो रहा था। उम्मीदवारों के जमा दस्तावेजों के आधार पर आरोपियों ने तीस से ज्यादा सिमकार्ड हासिल कर लिए थे। नागपुर पुलिस दोनों आरोपियों को लेकर नागपुर के लिए रवाना हो गई।