चंडीगढ़। हमने 26 अगस्त को प्रधानमंत्री पर कोई टिप्पणी नहीं की थी। कुछ चैनलों ने इस तरह का समाचार चलाया। कुछ अखबारों ने भी छापा। मीडिया को ऐसी रिपोर्टिग नहीं करनी चाहिए। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ ने यह सलाह मंगलवार को दी। इस संबंध दायर जनहित याचिका मंगलवार को सुनवाई शुरू होते ही तीन जजों की पीठ ने कहा कि, जिस संदर्भ में यह बात कही गई थी, उसमें भी ऐसा कुछ नहीं था। मीडिया ने हाईकोर्ट की टिप्पणी को गलत ढंग से पेश किया है।
सुनवाई के दौरान जब डेरे के वकील ने कहा कि पुलिस अकारण डेरों को सील कर रही है तो कोर्ट ने कहा कि हमने किसी डेरे को सील करने के लिए नहीं कहा, केवल जांच के लिए कहा है। यह सुनिश्चित करने को कहा है कि डेरा में हथियारों जैसी कोई खतरनाक चीज न हो।
तोड़फोड़ व आगजनी पर पुलिस व सुरक्षा बलों की कार्रवाई पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने संतुष्टि जताई है। हाईकोर्ट ने कहा, 'युद्ध जैसी स्थिति बन गई थी। ऐसी स्थिति को युद्ध की तरह ही निपटा जाना था, पुलिस और सुरक्षा बलों ने जिस सख्ती के साथ दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई की उससे ऐसे लोगों में एक संदेश गया है की दोबारा अगर किसी ने इस तरह की हरकत की तो उनके खिलाफ भी ऐसी ही सख्त कार्रवाई की जाएगी।'
हाई कोर्ट ने कहा कि पुलिस कभी कमजोर और पीडि़त नजर नहीं आनी चाहिए। पुलिस को सख्त होना बेहद जरूरी है। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी मंगलवार को कुछ वकीलों की ओर से डेरा समर्थकों के खिलाफ की गई कार्रवाई पर सवाल उठाने पर की गई है।