नई दिल्ली। वैवाहिक रेप को अपराध की श्रेणी में शामिल करने की मांग करनेवाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान आज दिल्ली हाईकोर्ट की कार्यकारी चीफ जस्टिस गीता मित्तल ने फिलीपींस के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को उद्धृत किया, जिसमें कहा गया है कि विवाह के बाद भी जबरन बनाया गया यौन संबंध अपराध है। हाईकोर्ट ने इस मामले पर अगली सुनवाई 4 सितंबर के लिए टाल दी है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील कॉलिन गोंजाल्वेस ने नेपाल सुप्रीम कोर्ट के 2001 के एक फैसले का उदाहरण दिया और कहा कि यह कहना कि कोई पति अपनी पत्नी का रेप कर सकता है तो ये महिला के स्वतंत्र अस्तित्व को नकारना है।
बता दें कि 29 अगस्त को केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में कहा था कि वैवाहिक रेप को अपराध की श्रेणी में शामिल करने से शादी जैसी संस्था अस्थिर हो जाएगी और ये पतियों को प्रताड़ित करने का एक नया जरिया बन जाएगा।
केंद्र ने कहा था कि पति और पत्नी के बीच यौन संबंधों के प्रमाण बहुत दिनों तक नहीं रह पाते। केंद्र ने कहा था कि भारत में अशिक्षा, महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त न होना और समाज की मानसिकता की वजह से वैवाहिक रेप को अपराध की श्रेणी में नहीं रख सकते। केंद्र ने कहा था कि इस मामले में राज्यों को भी पक्षकार बनाया जाए ताकि उनका पक्ष जाना जा सके।
केंद्र ने कहा था कि अगर किसी पुरुष के अपनी पत्नी के साथ किए गए किसी भी यौन कार्य को अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा, तो इस मामले में फैसले एक जगह आकर सिमट जाएंगे और वो होगी पत्नी। इसमें कोर्ट किन साक्ष्यों पर भरोसा करेगी ये भी एक बड़ा सवाल होगा।