शिमला। हिमाचल प्रदेश में ब्लू व्हेल चेलेंज को जीतने के लिए 10 साल के एक मासूम बच्चे से सुसाइड कर लिया। चौंकाने वाली बात तो यह है कि उसे खुद नहीं पता था कि वो ब्लू व्हेल गेम खेल रहा है। वो तो अपने परिजन के मोबाइल में गेम खेल रहा था। बच्चे ने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है जिसमें उसने लिखा है कि एक पजल को सॉल्व ना कर पाने की वजह से खुदकुशी कर रहा हूं। लेकिन जब पुलिस ने मोबाइल की छानबीन की तो पता चला कि वो ब्लू व्हेल गेम था। अब तक यह खेल 130 से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है।
हिमाचल प्रदेश में यह घटना बाधू एरिया के बागी पुलिस स्टेशन एरिया की है। बच्चा गुरुकुल पब्लिक स्कूल में पांचवी क्लास में पढ़ता था। गुरुवार दोपहर उसकी बॉडी घर की छत से लटकी हुई पाई गई। बॉडी के करीब सुसाइड नोट भी मिला। पुलिस के मुताबिक, सुसाइड नोट में लिखा गया है कि बच्चे ने किसी पजल को सॉल्व करने में मिली नाकामी के चलते खुदकुशी की। पुलिस ने जब इस पजल की जांच की तो पाया गया कि ये और कुछ नहीं बल्कि ब्लू व्हेल गेम था। बच्चा किसी फैमिली मेंबर के मोबाइल फोन पर यह गेम खेल रहा था। बता दें कि हिमाचल सरकार राज्य में इस गेम को रोकने के लिए पैरेंट्स से बच्चों पर नजर रखने को कह चुकी है।
हाईकोर्ट ने कहा था- गेम पर बैन का तरीका खोजे सरकार
4 सितंबर को एक पिटीशन पर सुनवाई के दौरान मद्रास हाईकोर्ट ने सरकार से कहा था कि वो इस गेम को बैन करने का तरीका खोजे। मद्रास हाईकोर्ट इस मामले में सुओ मोटो (स्वत: संज्ञान) लेकर सुनवाई कर रहा है। सोमवार को मामले की सुनवाई मद्रास हाईकोर्ट की मदुरई बेंच के जस्टिस केके. श्रीधरन और जस्टिस जीआर. स्वामीनाथन ने की थी। बेंच ने इस मामले में यूनियन इन्फॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग सेक्रेटरी और होम सेक्रेटरी को नोटिस जारी किए। बेंच ने इस मामले मे कई डाइरेक्शंस भी जारी किए।
कैसे बैन किया जाए?
कोर्ट ने यूनियन और स्टेट गवर्नमेंट से कहा कि ब्लू व्हेल गेम को बैन करने का तरीका खोजा जाए। हाईकोर्ट ने आईआईटी मद्रास के डाइरेक्टर से कहा कि वो भी ये बताएं कि इस तरह के ऑन लाइन गेम्स पर किस तरह से रोक लगाई जा सकती है। सुनवाई के दौरान सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि मदुरई के जिस लड़के ने सुसाइड किया था, उसने 75 और लोगों को यह गेम फॉरवर्ड किया था। हालांकि, इन सभी को यह गेम खेलने से रोक दिया गया। हाईकोर्ट ने डीजीपी और होम सेक्रेटरी को सख्त ऑर्डर जारी करते हुए कहा कि वो इस गेम को शेयर करने वालों पर सख्त कार्रवाई करें। बता दें कि 19 साल के एक लड़के की मौत के बाद एक वकील ने हाईकोर्ट से इस मामले पर संज्ञान लेने की अपील की थी। इसके बाद कोर्ट ने यह कदम उठाया।
ब्लू व्हेल गेम नहीं एक ट्रैप
टीन एजर्स गेम मानकर ब्लू व्हेल के जाल में फंस रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर ब्लू व्हेल ऐप तलाशे जा रहे हैं, लेकिन असल में यह न तो गेम है और न ही ऐप है। यह अपराधी किस्म के लोगों का एक ट्रैप है, जो दुनियाभर में अब तक 130 से ज्यादा लोगों की जान ले चुके हैं। नासमझी में बच्चे इसके आसानी से शिकार बन रहे हैं। ‘ब्लू व्हेल’ के पीछे दिमाग है मास्को (रूस) के फिलिप बुडेईकिन का। उसे गिरफ्तार किया जा चुका है और वह तीन साल की सजा काट रहा है। गेम से पहली मौत का मामला 2015 में आया था। गिरफ्तारी के बाद फिलिप ने कहा था, "गेम का मकसद समाज की सफाई करना है।" फिलिप की नजर में सुसाइड करने वाले सभी लोग 'बायो वेस्ट' थे।