भोपाल। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पिछले दिनों धमकी दी थी कि जो कलेक्टर ठीक से काम नहीं करेंगे, उन्हे उल्टा लटका दिया जाएगा। कलेक्टरों ने उस समय तो इस बयान का कोई विरोध नहीं किया लेकिन वसूली अटका दी। राजस्व विभाग की विभिन्न मदों में 1000 करोड़ की वसूली अटकी हुई है। यह कुल राशि का 90 प्रतिशत है। सिर्फ 10 प्रतिशत वसूली सरकारी खाते में जमा हुई। जो प्रक्रिया के तहत अत्यंत अनिवार्य थी। हालात यह हैं कि इंदौर में कड़ी कार्रवाई करके लौटे मुख्य सचिव बीपी सिंह के तेवर भी ढीले पड़ गए हैं। उन्होंने सभी कलेक्टरों को चिट्ठी लिखी है कि इस काम की समीक्षा करें और वसूली में लगातार सुधार कराएं।
पत्रकार बृजेंद्र मिश्रा की एक रिपोर्ट के अनुसार राजस्व विभाग की समीक्षा के दौरान राज्य शासन के संज्ञान में यह बात सामने आई है कि कलेक्टर जिलों में शहरी क्षेत्रों में लोगों व संस्थाओं को एक निश्चित प्रीमियम व भू भाटक तथा भूमि उपयोग बदलने के बदले लगने वाले डायवर्सन शुल्क की वसूली नहीं करा पा रहे हैं। इसका नतीजा यह है कि चालू साल में अप्रेल से अब तक 5 माह में सिर्फ 11 फीसदी राशि की ही वसूली की जा सकी है। यह स्थिति चिंताजनक है जिससे कलेक्टरों को नोटिस देने का प्रस्ताव राजस्व विभाग के अफसरों ने शासन को भेजा है।
सूत्रों का कहना है कि चूंकि मुख्य सचिव ने पिछले माह संभागीय समीक्षा के दौरान खुद भी इस तरह की स्थिति को भांपा है और उन्होंने स्थिति सुधारने के लिए दो माह का समय दिया है। इसलिए फिलहाल किसी कलेक्टर विशेष को नोटिस तो जारी नहीं किया गया पर संभागायुक्तों और कलेक्टरों को संबोधित चिट्ठी सीएस सिंह ने लिखी है। साथ ही कहा है कि वे इसकी सतत समीक्षा कराएं और डायवर्सन व नजूल रेंट की वसूली समय पर कराएं। अधीनस्थ अधिकारियों के काम की प्रगति वे देखते रहें।
बड़े शहरों की स्थिति गड़बड़
जमीन के डायवर्सन शुल्क की सबसे अधिक राशि बड़े शहरों इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर में ही ज्यादा है। इसके अलावा जिन शहरों का प्लान एरिया बढ़ रहा है और बिल्डर, कॉलोनाइजर व इंडस्ट्री वहां पहुंच रही हैं, वहां जमीन का कृषि उपयोग आवासीय, सार्वजनिक तथा आवासीय कम सार्वजनिक प्रयोजन के लिए होने की अनुमति दी जा रही है। इसके लिए होने वाली डायवर्सन शुल्क की बकाया राशि जमा कराने में गड़बड़ की जाती है। सूत्रों का कहना है कि जांच होने की दशा में भोपाल व इंदौर में कालेज, नई कालोनियों का निर्माण करने के बदले जमा होने वाली राशि में गड़बड़ी की स्थिति भी बन सकती है क्योंकि यहां सर्वाधिक डायवर्सन के मामले सामने आए हैं।
सस्पेंड हुए थे डिप्टी कलेक्टर व तहसीलदार
डायवर्सन व नजूल की वसूली के मामले में ही इंदौर जिले में पदस्थ डिप्टी कलेक्टर श्रृंगार श्रीवास्तव, अजीत श्रीवास्तव, संदीप सोनी तथा तहसीलदार राजेश सोनी और दर्शिनी सिंह को सस्पेंड किया गया था। इन अधिकारियों के द्वारा डायवर्सन शुल्क की राशि जमा कराने के लिए बिल्डरों से जमा कराए गए चेक बैंकों में नहीं लगाए थे और उन्हें डायवर्सन की अनुमति जारी कर दी थी।