नई दिल्ली। 2017 में प्याज की बंपर पैदावार हुई थी। हालात यह थे कि जुलाई माह में प्याज 1 रुपए किलो बिक रही थी, वहीं सितम्बर में 50 रुपए किलो हो गई। सबको पता है कि मंडी से सस्ते दामों में प्याज खरीदकर जमाखोरों ने गोदामों में बंधक बना रखी है परंतु मोदी सरकार गोदामों से प्याज को मुक्त कराने में बिफल रही। उसने वाजपेयी सरकार जैसे हालात से बचने के लिए प्याज को विदेश से मंगवा लिया है। प्राइवेट ट्रेडर्स ने मिस्र से 2,400 टन प्याज का आयात किया है। सरकार ने संकेत दिया है कि यदि कीमतें अधिक बढ़ती हैं तो और भी आयात की व्यवस्था की जा सकती है। उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय प्याज कीमतों की करीब से निगरानी कर रहा है। खुदरा बाजारों में प्याज 40 से 50 रुपये प्रति किलो के बीच बिक रहा है।
व्यापारियों के साथ समीक्षा बैठक के बाद मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'प्याज मिस्र से आयात हो रहा है। निजी व्यापारियों ने पहले ही 2,400 टन के लिए ऑर्डर किया हुआ है। खेप मुंबई बंदरगाह पर उतर रही है।' उन्होंने कहा कि प्याज के आयात की 9,000 टन की एक और खेप के जल्द आने की उम्मीद है। अगर प्याज की कीमतों में असामान्य ढंग से आगे और वृद्धि होती है तो निजी व्यापारियों को पड़ोसी देशों से और आयात को तैयार रहने को कहा गया है।
उपभोक्ता मामलों के विभाग के सचिव अविनाश के श्रीवास्तव की अध्यक्षता में एक समीक्षा बैठक में आयात संबंधी मुद्दों पर विचार विमर्श किया गया। वाणिज्य और कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और निजी व्यापारी इसमें उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि सरकार निजी व्यापार के जरिए आयात की सुविधा देगी। उन्होंने कहा, 'प्याज के आयात के लिए सार्वजनिक व्यापार एजेंसियों को साथ लेने का अभी तक कोई फैसला नहीं किया गया है।'
अधिकारी ने यह भी कहा कि प्याज के मूल्य में तेजी सट्टेबाजी की वजह से है क्योंकि बुनियादी स्थिति ऐसी तेजी का कारण नहीं हो सकती। खरीफ की नई फसल पिछले वर्ष से कहीं बेहतर है। उन्होंने कहा कि राज्यों को सट्टेबाजी को रोकने के लिए प्याज व्यापारियों पर स्टॉक रखने की सीमा को लागू करने को कहा गया है और प्याज के निर्यात को रोकने का प्रस्ताव भी विचाराधीन है।