भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने अतिथि शिक्षकों के लिए सहूलियतों का पिटारा खोल दिया है। संविदा शाला शिक्षक चयन परीक्षा में अनुभव के आधार पर 5 से 15 बोनस अंक देने के साथ सरकार उन्हें उम्र में पांच साल की छूट देने जा रही है। ये प्रस्ताव लोक शिक्षण संचालनालय तैयार कर रहा है। वहीं उनके लिए संविदा शिक्षकों की भर्ती में 25 फीसदी सीट आरक्षित रखने की भी तैयारी है। ये घोषणा मुख्यमंत्री ने की थी। प्रदेश में 50 हजार से ज्यादा अतिथि शिक्षक हैं, जो सरकारी स्कूलों में पिछले दस साल से पढ़ा रहे हैं। इन शिक्षकों ने संगठन बनाया और सरकार के सामने अपनी मांगें रख दीं। शिक्षकों के आक्रोश को ठंडा करने के लिए सरकार एक के बाद एक घोषणाएं कर रही है। पहले अनुभव के आधार पर बोनस अंक देने की घोषणा हुई थी। इसके निर्देश हाल ही में जारी हुए हैं। अब उम्र में छूट देने का प्रस्ताव है।
इसमें सामान्य वर्ग के पुरुषों को 45 और महिलाओं को 50 साल तक नौकरी दिए जाने का प्रावधान किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि कैबिनेट की स्वीकृति के हिसाब से प्रदेश में 31 हजार 645 पदों पर संविदा शिक्षकों की भर्ती होना है। जबकि स्कूल शिक्षा विभाग के रिकॉर्ड के हिसाब से 42 हजार से ज्यादा पद खाली हैं।
25 फीसदी आरक्षण मिलेगा
अतिथि शिक्षकों को संविदा शाला शिक्षक भर्ती में रिक्त पदों पर 25 फीसदी आरक्षण देने की भी तैयारी है। इसकी घोषणा मुख्यमंत्री कर चुके हैं। अब विभाग को प्रस्ताव तैयार करना है। संचालनालय के अफसरों का कहना है कि अभी तक शासन से निर्देश नहीं मिले हैं। जैसे ही निर्देश आएंगे। वह प्रस्ताव भी तैयार कर देंगे।
अब साल नहीं दिन के हिसाब से बोनस अंक
संविदा शिक्षकों की भर्ती में अतिथि शिक्षकों को अब दिन के हिसाब से बोनस अंक दिए जाएंगे। जिस अतिथि शिक्षक ने 200 से 399 दिन पढ़ाया है उसे पांच, 400 से 599 दिन पढ़ाने पर 10 और 600 या उससे अधिक दिन पढ़ाने पर 15 अंक दिए जाएंगे।
छह साल से अटकी है भर्ती
प्रदेश में छह साल से संविदा शिक्षकों की भर्ती अटकी हुई है। वर्ष 2011 के बाद से राज्य सरकार ने भर्ती परीक्षा नहीं कराई। इस बीच प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (पीईबी) तीन बार परीक्षा का अनुमानित टाइम टेबल भी घोषित कर चुका है।
प्रस्ताव तैयार कर रहे
संविदा शिक्षक भर्ती में अतिथि शिक्षकों को अनुभव का लाभ देने का प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं। इसे जल्द ही कैबिनेट को भेजा जाएगा।
दीप्ति गौड़ मुकर्जी,
प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग