नई दिल्ली। टेक्नोलॉजी के कारण जहां कुछ लोगों के लिए रोजगार बढ़ रहा है वहीं खबर है कि अब बैंकों के कुछ कर्मचारियों की नौकरी भी जाएगी। दरअसल बैंकों के कुछ काउंटर हमेशा के लिए बंद होने वाले हैं, जैसे की पासबुक अपडेट। इन काउंटर के बंद होने से कुछ बैंक कर्मचारियों की जरूरत नहीं रह जाएगी। इनके पीछे कारण टेक्नोलॉजी ही है। कई बैंकों में ये बदलाव नजर आने भी लगे हैं। ग्लोबल बैंकिंग कंपनी सिटीग्रुप को साल 2008 के वित्तीय संकट से उबारने वाले विक्रम पंडित ने बैंकिंग सेक्टर में बढ़ते ऑटोमेशन का समर्थन किया है।
उनका कहना है कि टेक्नोलॉजी के बढ़ते इस्तेमाल की वजह से अगले पांच वर्षों में करीब 30 फीसदी नौकरियां खत्म हो जाएंगी। आने वाले समय में बैंक-ऑफिस जैसे कामकाज के लिए काफी कम कर्मचारियों की जरूरत रह जाएगी। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (कृत्रिम बुद्घि) और रोबोटिक्स ऐसे काम निपटाने में सक्षम हैं। हालांकि उनका ये नजरिया और अनुमान अमेरिका और यूरोप के लिए है। लेकिन भारतीय बैंक भी अब इसी राह पर चल रहे हैं। घरेलू बैंकिंग सिस्टम में यह चलन देखा जा सकता है। अब पासबुक अपडेट, कैश डिपॉजिट, केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) वेरिफिकेशन और खातों में वेतन का ट्रांसफर डिजिटल तरीके से होने लगा है। इसी कारणवश कर्मचारियों की जरूरत भी कम होती जा रही है।
एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक ज्यादा से ज्यादा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने लगे हैं। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई भी इस मामले में काफी आगे नजर आ रहा है। इन सभी बैंकों ने रोज के काम को सेंट्रलाइज करने के लिए रोबोटिक्स का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। इस वजह से इन बैंकों की शाखाओं पर कर्मचारियों की जरूरत कम रह गई है। मशीनों का इस्तेमाल बढ़ने से कर्मचारियों की भर्ती घट गई है। जो भर्तियां हो रही हैं, उनमें ऐसा हुनर होना चाहिए, जो बैंकों में ऑटोमेशन को बढ़ावा देने में जरूरी हो।