
जिसकी लिखित शिकायत राममनोहर दहायत ने 9 अगस्त 2015 को लोकायुक्त पुलिस संगठन सागर से की थी। रिश्वत की मांग संबंधी बातचीत को राममनोहर दहायत द्वारा 10 अगस्त 2015 को वॉयस रिकार्डर में रिकार्ड किया गया। इस वार्तालाप के दौरान श्री कुरैशी 40 हजार रूपये में पट्टा देने के लिए तैयार हो गये। रिश्वत की पहली किश्त के रूप में 20 हजार रूपयेे लेकर राममनोहर दहायत 12 अगस्त 2015 को पन्ना स्थित सहायक संचालक मत्स्योद्योग के शासकीय आवास पहुंचा जहां श्री कुरैशी के कहने पर उसने रिश्वत की राशि खिड़की में बाहर की तरफ रख दी।
राममनोहर के बाहर आते ही लोकायुक्त पुलिस टीम ने मौके पर पहुंच कर रिश्वत की राशि को जप्त कर लिया था। इस मामले में सहायक संचालक मत्स्योद्योग के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस संगठन सागर ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण पंजीबद्व कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया गया। विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम पन्ना एवं जिला सत्र न्यायाधीश राजेश कोष्टा ने प्रकरण के विचारण के दौरान अभियोजन की ओर से पेश गवाहों के बयानों, अभियुक्त की वॉयस रिकार्ड अन्य साक्ष्यों तथा दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुना गया।
विद्वान न्यायाधीश श्री कोष्टा ने समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करते हुये शनिवार 23 सितम्बर 2017 को इस मामले में निर्णय पारित कर अभियोजन के मामले को युक्तियुक्त संदेह से परे मानकर रिश्वत लेने के आरोपी सहायक संचालक अब्दुल रसीद कुरैशी को दोषी ठहराते हुये धारा-7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत 4 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 25 हजार रूपये के अर्थदण्ड तथा धारा 13 (1) (डी) सहपठित धारा 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अन्तर्गत 4 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 25 हजार रूपये के अर्थदण्ड से दंण्डित किया है। विशेष न्यायाधीश श्री कोष्टा ने अपने निर्णय में तमाम प्रयासों तथा जनजागरूकता के बावजूद भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति के जड़े जमाने पर गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुये इस प्रवृत्ति को कठोरतापूर्वक निरोत्साहित किये जाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।