लखनऊ। उत्तरप्रदेश राज्य में खुली घूसखोरी का एक मामला सामने आया है। बाराबंकी जेल अधीक्षक उमेश कुमार सीधे मंत्री के बंगले पर पहुंचा और 50 हजार रुपए घूस से भरा लिफाफा मंत्री की टेबल पर रखकर चला गया। वो नशे में धुत था इसलिए बवाल मच गया और जेल अधीक्षक के खिलाफ प्रकरण दर्ज करा दिया गया परंतु सवाल यह है कि यदि वो नशे में ना होता तब ? आखिर क्यों वो 50 हजार रुपए की घूस लेकर मंत्री के बंगले पर आया था। जांच में यह प्रश्न भी शामिल किया जाना चाहिए था कि एसे ऐसा करने के लिए किसने प्रेरित किया था।
मंगलवार रात कारागार एवं लोक सेवा प्रबंधक के राज्यमंत्री जय कुमार सिंह जैकी आवास पर थे कि तभी साढ़े 9 बजे बाराबंकी जेल अधीक्षक उमेश कुमार वहां आ पहुंचे। उसने मंत्री के स्टाफ से जरुरी काम का हवाला देते हुए मिलने की बात कही। इस पर मंत्री ने उसे कमरे में बुलवाया। जेल अधीक्षक को नशे में देखते ही मंत्री भड़क उठे। उन्होंने उमेश कुमार को फटकारते हुए सुरक्षाकर्मियों से बाहर निकलने को कहा।
इस पर जेल अधीक्षक ने जेब से लिफाफा निकलकर टेबल पर रख दिया। इस लिफाफे में 50 हजार रुपए थे। लिफाफा देखते ही मंत्री का पारा और चढ़ गया। उन्होंने जेल अधीक्षक को पकड़ने को कहा। इसके बाद उमेश कुमार वहां से भाग गया। मंत्री के एफआईआर दर्ज कराने के आदेश पर उनके शैडो सौरभ कुमार ने हजरतगंज कोतवाली में तहरीर दी। हजरतगंज कोतवाली में भ्रष्टाचार अधिनियम (60/13) के तहत एफआईआर लिखी गई है।
मैं मंत्री के बंगले गया ही नहीं
इधर जेल अधीक्षक उमेश कुमार ने दावा किया है कि वो मंत्री से मिलने कभी गए ही नहीं। यदि पहचान परेड करा दी जाए तो मंत्री उन्हे पहचान भी नहीं पाएंगे। उन्होंने किसी को कोई रिश्वत नहीं दी और ना ही वो नशे में थे।