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जिले के कटंगी स्थित भारतीय खादय निगम के गोदामों में 3 वर्ष पूर्व खरीदा गया चावल जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये आम उपभोक्ताओं में वितरित किया जाना था पूरी तरह नष्ट किये जाने की कगार तक पहुंच गया है। नागरिक आपूर्ति निगम के अफसरों और राईस मिलर्स की सांठगांठ के चलते कमिशन के चक्कर में अमानक चावल खरीद लिया गया। जो अब कीड़े लग जाने से पाउण्डर की सकल में तब्दील होता जा रहा है।
खाने के अयोग्य इस चावल को नीलामी के जरिये ठिकाने लगाने की कवायद की जा रही है लेकिन जो लोग नीलामी के माध्यम से इस चावल को खरीदना चा रहे थे चावल की हालत देखकर उन्होने अपने हाथ खडे कर लिये। अमानक स्तर के उपयोग के ना काबिल भण्डारित इस चावल की देखरेख पर अभी भी लाखों रूपये खर्च किये जा रहे है।
यह उल्लेखनीय है कि मार्च 2017 में खादय मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे के निर्देश पर एक उच्चस्तरीय जांच दल जिसमें 5 वरिष्ठ स्तर के अधिकारी शामिल थे, जांच करने बालाघाट आये थे। उन्होने भण्डारित चावल की वास्तविकता परखी। सप्लाई करने वाले राईस मिलर्स, खरीदने वाले अधिकारी और भण्डारगृह निगम के अधिकारियो से पूछपरख की। खादय मंत्री के निर्देश थे की जांच दल एक सप्ताह के अंदर जांच प्रतिवेदन सरकार को प्रस्तुत करेगा लेकिन 6 माह गुजर जाने के बाद आज तक जांच दल के निष्कर्षों का कोई पता नही है।
आज तक राईस मिलर्स और अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नही की गई। नीलामी की आड में चावल का निपटारा कर इन्हें बचाने प्रयास किया जा रहा है। भ्रष्टाचार के मामले में जीरों टांलरेंस और करप्शन मुक्त प्रदेश का दावा करने वाले नेताओं के मुंह पर यह मामला तमाचा जडने जैसा है। ऐसा लगता है कि इस मामले की जांच रिपोर्ट पोस्टमार्टम के बाद दफना दी जायेगी। जिम्मेदार अधिकारी, राईस मिलर्स बचा लिये जायेगे।