
गौरतलब है कि, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने जुलाई महीने में ग्राम पंचायत सचिवों का वेतन 5300 रुपए कम कर दिया था। ग्रापं सचिवों सहित कई संगठनों ने इसका विरोध किया और वेतन में कटौती को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। इसी बीच विभाग ने एक निर्देश जारी कर दिया कि, ग्रापं सचिवों को 10 महीने से ज्यादा वेतन मिल रहा है।
विभाग के अनुसार पंचायत सचिवों का वेतन 14 हजार 646 रुपए है लेकिन, किसी विसंगति के कारण अक्टूबर 2016 से पंचायत सचिवों को 19 हजार 770 रुपए वेतन दिया जा रहा है। यानी एक पंचायत सचिव को 5324 रुपए का वेतन हर महीने ज्यादा मिला है। यह वेतन अक्टूबर 2016 से जुलाई 2017 तक मिला। यानी 10 महीने में एक पंचायत सचिव को 53 हजार 240 रुपए का वेतन ज्यादा दे दिया गया। पूरे प्रदेश में 22 हजार 824 ग्राम पंचायत सचिव हैं। इस हिसाब से 10 महीने में पूरे प्रदेश में लगभग 1 अरब 21 करोड़ 51 लाख रुपए का वेतन सचिवों में ज्यादा बंट गया है। सरकार अब सचिवों से वेतन में ज्यादा दी गई राशि को वसूल करेगी।
बढ़े वेतन वसूली के लिए सचिवों से लिया जा रहा वचन पत्र
वेतन में ज्यादा मिल चुकी राशि को वसूलने के लिए हर पंचायत सचिव से मप्र सरकार अंडरटेकिंग फार्म (वचन पत्र) भरवा रही है। जनपदों के माध्यम से भरवाए जा रहे इस वचन पत्र में लिखा है कि 20 जुलाई 2013 से 1 अगस्त 2013 को तय हुआ वेतनमान अनंतिम था। इस वेतनमान से ऊपर जितनी भी राशि मुझे मिली है उसे सरकार वापस वसूल सकती है।
सचिव इस वचन पत्र में लिखकर दे रहे हैं कि, वेतन में ज्यादा मिली राशि को सरकार हर महीने मिलने वाले वेतन या खास मौकों पर मिलने वाले एरियर की राशि में से वसूल कर सकती है। इतना ही नहीं सचिवों से यह भी लिखवाकर लिया जा रहा है कि, यदि किसी कारण वह ये राशि वापस नहीं कर पाते तो परिवार या उत्तराधिकारी से बढ़े हुए वेतन की राशि वसूल की जा सकती है।
इनका कहना है
पूरे प्रदेश में ग्राम पंचायत सचिवों से ऐसे वचन पत्र भरवाएं जा रहे हैं। सरकार के हिसाब से पिछले 10 महीने से सचिवों को करीब 5300 रुपए ज्यादा मिल रहा था। इस हिसाब से एक सचिव से 53 हजार की वसूली तो होनी ही है।
गिर्राज पालीवाल प्रांतीय प्रचारक, मप्र सचिव संगठन