यंगून। उत्तर-पश्चिम म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों के 8 गांव जलाकर राख कर दिए गए। ये वही गांव हैं जहां हमलों से बचने के लिए रोहिंग्या मुस्लिमों ने शरण ले रखी थी। आगजनी की यह घटना राथेडांग कस्बे में हुई। सरकार का कहना है कि वो आतंकवाद के खिलाफ अभियान चला रही है। आग किसने लगाई इसका पता नहीं चल पाया है परंतु रोहिंग्या मुस्लिमों का आरोप है कि यह आग रखाइन बौद्ध और म्यांमार की सेना ने मिलकर लगाई है। जान बचाने के लिए रोहिंग्या मुस्लिमों बांग्लादेश की तरफ भाग रहे हैं।
इलाके में रखाइन बौद्ध और रोहिंग्या मुस्लिम आबादी साथ-साथ रहती है। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि इन गांवों में आग किसने लगाई। इलाके में स्वतंत्र पत्रकारों के जाने की मनाही है। मानवाधिकार पर्यवेक्षकों और भाग रहे रोहिंग्याओं का कहना है कि सेना और रखाइन मिलकर मुस्लिम आबादी को बाहर निकालने के लिए अभियान चला रहे हैं। हालांकि, म्यांमार का कहना है कि उसके सुरक्षा बल चरमपंथी आतंकियों का सफाया करने का अभियान चला रहे हैं।
गांवों में आगजनी की ताजा घटना से रोहिंग्या मुस्लिमों की बांग्लादेश की ओर पलायन की संभावना बढ़ गई है। जबकि पिछले दो हफ्तों में करीब 2,70,000 रोहिंग्या पहले ही पलायन कर चुके हैं। राथेडांग का इलाका बांग्लादेश सीमा से काफी दूर है। मानवतावादी कार्यकर्ताओं को आशंका है कि बड़ी संख्या में मुस्लिम वहां फंस गए हैं। बतातें हैं कि गांववासी अब घने जंगलों में छिप रहे हैं या फिर वे मानसूनी बारिश के बीच दिनभर पैदल चलकर मोंगडॉ क्षेत्र या पश्चिम में उससे भी आगे नफ नदी की ओर जा रहे हैं। यह नदी म्यांमार को बांग्लादेश से अलग करती है।