
अध्यापकों को भारतीय समाज में गुरू का दर्जा दिया गया है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों के मुखियाओं ने अध्यापकों को भारत के भविष्य का निर्माता कहा है। यह समाज का ऐसा वर्ग है जिसके लिए वेतन से ज्यादा सम्मान मायने रखता है। इतिहास गवाह है, सम्मान को बचाने के लिए कई अध्यापकों ने नौकरियों से इस्तीफे तक दे दिए परंतु यहां 6वां वेतनमान और संविलियन की मांग कर रहे अध्यापकों ने कमलनाथ की अशिष्टता को भी सहर्ष स्वीकार किया। किसी ने आपत्ति तक नहीं उठाई।
— Bhopal Samachar (@BhopalSamachar) September 25, 2017भाजपा सूत्रों का आरोप है कि छिंदवाड़ा में अध्यापक संघर्ष समिति का प्रांतीय अधिवेशन अध्यापकों को न्याय दिलाने के लिए नहीं बल्कि कमलनाथ का कद बढ़ाने के लिए आयोजित किय गया था। कांग्रेस में इन दिनों कमलनाथ की ज्योतिरादित्य सिंधिया से प्रतिस्पर्धा चल रही है। कमलनाथ सीएम कैंडिडेट का दावा कर रहे हैं परंतु उन पर सवाल उठते रहे हैं कि वो केवल गुड़ीगुडी (संबंध बनाने वाली) पॉलिटिक्स करते हैं। उन्होंने ना तो शिवराज सरकार को घेरा और ना ही आम जनता में उनका कोई संपर्क है। मध्यप्रदेश की उनका प्रभाव छिंदवाड़ा और कुछ पड़ौसी जिलों तक ही सीमित हैं। ये दाग धोने के लिए कमलनाथ पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया पर एक्टिव हो गए हैं और शिवराज सिंह को सीधे घेर रहे हैं। भाजपा का दावा है कि अध्यापकों का प्रांतीय अधिवेशन भी इसी रणनीति का हिस्सा है। इसके जरिए वो कांग्रेस हाईकमान को बताना चाहते हैं कि मध्यप्रदेश की जनता उन्हे अपना नेता मानती है।