जो बाबा के लिए बदनाम हो गई, उसके हाथ कुछ नहीं, बाबा मिलना भी नहीं चाहता

Bhopal Samachar
पानीपत/श्रीगंगानगर। डेरा सच्चा सौदा के बाबा राम रहीम को सजा सुनाए जाने के बाद बाबा के बराबद ही बदनामी का शिकार हुई उनकी मुंहबोली बेटी हनीप्रीत को अब डेरे ने किनारे कर दिया है। माना जा रहा था कि बाबा के बाद हनीप्रीत को ही डेराप्रमुख बनाया जाएगा क्योंकि वो बाबा के साथ डेरा के पूरे काम देखती थी। उसे इसका अच्छा अनुभव है। डेरा सच्चा सौदा की 1000 करोड़ की प्रॉपर्टी का वारिस चुनने की कवायद शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि नया डेरा चीफ बाबा के बेटे जसमीत को बनाए जाने के लिए सहमति बन गई है। अफसरों ने एक ब्योरा तैयार किया है, जिसमें पता चला है कि हरियाणा के 18 जिलों में डेरा की 1093 एकड़ जमीन है, जिसकी कीमत 1151 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। 

खबर आ रही है कि नया डेरा चीफ तय करने के लिए हुई बैठक को पूरी तरह गोपनीय रखा गया। इसमें राम रहीम की मां नसीब कौर, पत्नी हरजीत कौर अरौर बेटा जसमीत ही शामिल हुए। बाबा की दोनों बेटियां और गोद ली बेटी हनीप्रीत बैठक में मौजूद नहीं थीं। बैठक के बाद परिवार ने रोहतक जेल में बंद राम रहीम से मिलने के लिए जेल अफसरों से समय मांगा। डेरा चीफ की मुहर लगने के बाद नए डेरा चीफ के नाम का एलान कर दिया जाएगा।

कौन है बाबा की मुंहबोली बेटी हनीप्रीत
डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम की मुंहबोली बेटी हनीप्रीत को लेकर रोज नई-नई बातें सामने आ रही हैं। रेपिस्ट बाबा के साथ साए की तरह रहने वाली हनीप्रीत की फैमिली किराए के मकान में रहती थी, लेकिन बाबा के संपर्क में आते ही कुछ ही सालों में उसकी किस्मत अचानक बदल गई। हनीप्रीत का असली नाम प्रियंका तनेजा है। प्रियंका तनेजा (हनीप्रीत) का परिवार 1988 से 1998 तक चार मरला कॉलोनी में पीएनबी बैंक के पीछे एक संकरी गली में किराये के मकान में रहता था। उस दौरान प्रियंका फतेहाबाद के स्प्रिंग डेल स्‍कूल में 9वीं कक्षा में पढ़ती थी। बताया जाता है कि हनीप्रीत के दादा डेरा के अनुयायी थे। उस समय प्रियंका भी परिवार के साथ डेरा जाती थी और इसी दौरान वह बाबा के नजरों में आई।

ऐसे बदली जिंदगी 
हनीप्रीत के परिवार की किस्मत में तब अचानक मोड आया, जब दादा रामशरण दास डेरा के कैशियर बने। उसके पिता रामानंद ने भी फतेहाबाद में टायरों की कंपनी की डीलरशिप ले ली। उसके परिवार ने जगजीवनपुरा में अपना मकान बना लिया था और उसी में रहने लगे। हालांकि, हनीप्रीत का परिवार अपने मकान में ज्‍यादा दिन नहीं रुका और 4 साल में ही डेरे में शिफ्ट हो गया। कुछ दिनों तक कभी-कभी वो फतेहाबाद आते थे, मगर इसके बाद उन्होंने अपना यहां का मकान भी बेच दिया।

अब बाबा मिलना भी नहीं चाहते
राम रहीम ने सेहत का हवाला देते हुए कोर्ट से अपील की थी कि हनीप्रीत को जेल में उनके साथ रहने दिया जाए। इसके बाद पता नहीं क्या हुआ कि बाबा ने भी हनीप्रीत से मुंह मोड़ लिया। डेरा मुखी ने जेल प्रशासन को पांच लोगों के नाम के साथ दो बार सूची सौंपी, जिनसे वह मिलना चाहता है। पहली सूची में उसने हनीप्रीत का नाम भी रखा था मगर दूसरी सूची में हनीप्रीत का नाम हटाकर अपने बेटे, दोनों बेटियों, एक दामाद और मां का नाम ही रखा। साथ ही तीन लोगों के मोबाइल नंबर देकर उनसे बात कराने की भी गुहार की है। इसमें डेरा मुखी की मां, डेरे के एक अधिकारी जो पूरे लेनदेन का हिसाब रखता है और एक अन्य डेरा प्रबंधक का नंबर शामिल हैं 

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