भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2018 में आ रहे विधानसभा चुनाव की रणनीति पर काफी काम कर लिया है। एक तरफ संघ और भाजपा से इतर अपने प्रशंसकों की एक फौज तैयार कर ली गई है वहीं सरकारी खर्च पर एक ऐसा नेटवर्क भी तैयार कर लिया है जो सोशल मीडिया पर शिवराज सिंह को सपोर्ट करेगा। रूठों को मनाने और शिवराज विरोधी लहर को कम करने के लिए अब रणनीतिक कवायद भी शुरू हो गईं हैं। इसी के चलते एक बार फिर इस खबर को सुर्खियां दिलवाई जा रही है कि 'मप्र में अब हर साल संविदा शाला शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन किया जाएगा' लोग इसे कोरी घोषणा ना कह पाएं इसलिए प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
स्कूल शिक्षामंत्री विजय शाह और मंडल के अध्यक्ष एसआर मोहंती के बीच पहले दौर की बैठक हो चुकी है। कहा जा रहा है कि अब यह परीक्षाएं माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड द्वारा कराई जाएंगी लेकिन जैसी की रणनीति है, सिर्फ प्रक्रिया शुरू की गई है। फैसला नहीं हुआ है। बैठकों का दौर जारी है और उम्मीद है कि आचार संहिता लागू होने तक कई बैठकें हो जाएंगी ताकि लोगों को भरोसा हो जाए कि सरकार इस दिशा में काम कर रही है।
मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के 43 हजार से ज्यादा पद खाली हैं। सरकार ने वर्ष 2011 के बाद से पात्रता परीक्षा नहीं कराई है। 2011 की परीक्षा में जो वेटिंग लिस्ट थी उससे भी रिक्त पदों की पूर्ति नहीं की गई। जबकि 2013 के चुनाव में ऐलान किया गया था कि परीक्षाएं हर साल कराई जाएंगी। अब जबकि बीएड/डीएड पास अभ्यर्थियों की भीड़ जमा हो गई है। परीक्षाएं ना होने से वो शिवराज सिंह से नाराज चल रहे हैं तो यह नई धमचक शुरू कर दी गई।
कहा जा रहा है कि जैसे केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल (सीबीएसई) टीचर एलिजिबिलटी टेस्ट (सीटीईटी) लेता है, ठीक वैसी ही व्यवस्था मंडल बनाएगा। हालांकि इसके नियम मंडल की परीक्षा को लेकर सहमति मिलने के बाद ही बनाए जाएंगे।