भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में मप्र से सांसद प्रहलाद पटेल की सीट पक्की मानी जा रही थी। मणिपुर के शानदार नतीजों का इनाम उन्हे अब तक नहीं मिला है। सबको पूरा यकीन था कि नए मंत्रिमंडल में प्रहलाद पटेल को जरूर शामिल किया जाएगा परंतु एन वक्त पर उनका पत्ता कट गया। पहले प्रहलाद पटेल समर्थक मायूस हुए फिर कारणों की खोज शुरू हुई तो निष्कर्ष निकला कि उमा भारती के कारण प्रहलाद पटेल का पत्ता साफ हो गया।
इस बार फेरबदल करते समय परफॉर्मेंस ऑडिट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पैमाना रहा है, इसलिए कुछ मंत्रियों के पत्ते कटे, कुछ के विभाग बदले गए। वहीं कुछ मंत्रियों को अच्छा खासा ईनाम भी मिला। परफॉर्मेंस बेस पर ही यह माना जा रहा था कि प्रहलाद पटेल भी मंत्रिमंडल में शामिल होंगे परंतु उनका पत्ता जातिवाद के कारण कट गया। उमा भारती और प्रहलाद पटेल दोनों लोधी समाज से आते हैं। जातिवाद के कारण उमा भारती अंदर और पटेल बाहर हो गए।
आदिवासी को दलित ने रिप्लेस किया गया
वीरेन्द्र कुमार का चयन उनकी लो प्रोफाइल कार्यशैली, जमीनी एप्रोच, विवादरहित राजनीतिक व्यवहार और सांसद के तौर पर उनकी वरिष्ठता के साथ-साथ बुंदेलखंड को प्रतिनिधित्व और दलित वर्ग को महत्व देने के लिए किया गया। हालांकि मध्यप्रदेश में आदिवासियों की भी अच्छी खासी तादाद है। ऐसे में फग्गन सिंह कुलस्ते को हटाकर किसी आदिवासी को ही समायोजित करने की उम्मीद थी, लेकिन मौजूदा आदिवासी सांसदों में से मोदी-शाह की जोड़ी को कोई उपयुक्त नहीं लगा होगा, इसलिए आदिवासी की सीट को दलित वर्ग से रिप्लेस कर दिया गया।
उमा के कारण हर बार हाशिए पर आ जाते हैं प्रहलाद पटेल
प्रहलाद पटेल भाजपा के दिग्गज नेता हैं। महाकौशन में उनकी अपनी पकड़ है। जनता में उनका सम्मान है और उन पर भ्रष्टाचार के कोई गंभीर आरोप भी नहीं हैं। वो भी एक सरल और अनुभवी नेता हैं फिर भी प्रहलाद पटेल को ना तो भाजपा में कोई तवज्जो मिलती और ना ही मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिली। दरअसल, उमा भारती के साथ प्रहलाद पटेल भी जनशक्ति पाटीर्ह में चले गए थे। बाद में सब लौटकर आए तो उनका महत्व वैसा नहीं रह गया जैसा कि पहले था। उमा भारती के साथ भाजपा छोड़ने वाले ज्यादातर नेताओं को शिवराज सिंह ने हाशिए पर लगा रखा है। उमा भारती ने खुद अपनी जगह तो बना ली लेकिन वो अपने साथियों के लिए कोई खास जगह नहीं बना पाईं।